14/09/2022
मैं सांड़ हूं,
लोग कहते हैं कि मैं तुम्हारी फसल उजाड़ रहा हूँ, सड़कों पर कब्जा कर रहा हूँ, मैं तुम मनुष्यों से पूंछता हूँ कि कितने कम समय में मैं इतना अराजक हो गया, मैं तो हजारो वर्षों से तुम्हारे पूर्वजों की सेवा करता आया हूं ! मैं मनुष्यों का दुश्मन कैसे बन गया ।
अभी कुछ सालों पहले तो लोग मुझे पालते थे, चारा देते थे, लेकिन मनुष्य ज्यादा सभ्य हो गया, ट्रैक्टर ले आया, पम्पिंग सेट से पानी निकालने लगा और मुझे खुला छोड़ दिया, मैं कहाँ जाता ? कहाँ चरता ? मनुष्य ने चरागाहों पर कब्जा कर लिया, अब पापी पेट का सवाल है, अपने पेट के लिए अपने मित्र मनुष्य से संघर्ष शुरू हो गया।
यहां तक कि कुछ लोगों ने अपना पेट भरने के लिए मुझे काटना भी शुरू कर दिया। मैं फिर भी चुप रहा, चलो किसी काम तो आया तुम्हारे । मेरी माँ ने मेरे हिस्से का दूध देकर तुम्हे और तुम्हारे बच्चों को पाला लेकिन अब तो तुमने उसे भी खुला छोड़ दिया ।
इधर, पिछले सालों से कई मनुष्य मित्रों ने मुझे कटने से बचाने के लिए अभियान चलाया, लेकिन जब मैं अपना पेट भरने गलती से उनकी फसल खा गया तो वही मित्र मुझे बर्बादी का कारण बताने लगे, शायद अब यही चाहते हैं कि मैं काट ही दिया जाता।
मित्र बस इतना कहना चाहता हूं कि मैं तुम्हारी जीवन भर सेवा करूंगा, तुम्हारे घर के सामने बंधा रहूँगा, थोड़े से चारे के बदले तुम्हारे खेत जोत दूंगा, रहट से पानी निकाल दूंगा, गाड़ी से सामान ढो दूंगा, बस मुझे अपना लो
लेकिन क्या मेरे इस निवेदन का तुम पर कोई असर होगा ?
अरे तुम लोग तो अपने लाचार मां बाप को भी घर से बाहर निकाल देते हो, फिर मेरी क्या औकात..??
गो वंश की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने बछ बारस मनाने की परंपरा शुरू की थी, इसे गौवत्स द्वादशी भी कहते हैं- बछ बारस, भाद्रपदं महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है।
बछ यानि बछड़ा गाय के छोटे बच्चे को कहते हैं । इस दिन को मनाने का उद्देश्य गाय व बछड़े का महत्व समझाना है। यह दिन गोवत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। गोवत्स का मतलब भी गाय का बच्चा ही होता है। बछ बारस का यह दिन कृष्ण जन्माष्टमी के चार दिन बाद आता है । कृष्ण भगवान को गाय व बछड़ा बहुत प्रिय थे,, गाय में सैकड़ों देवताओं का वास माना जाता है। गाय व बछड़े की पूजा करने से कृष्ण भगवान का गाय में निवास करने वाले देवताओं का और गाय का आशीर्वाद मिलता है जिससे परिवार में खुशहाली बनी रहती है, ऐसा माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन गाय की सेवा करने से, उसे हरा चारा खिलाने से परिवार में महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा परिवार में अकालमृत्यु की आशंकाएं समाप्त होती
लोग कहते हैं कि मैं तुम्हारी फसल उजाड़ रहा हूँ, सड़कों पर कब्जा कर रहा हूँ, मैं तुम मनुष्यों से पूंछता हूँ कि कितने कम समय में मैं इतना अराजक हो गया, मैं तो हजारो वर्षों से तुम्हारे पूर्वजों की सेवा करता आया हूं ! मैं मनुष्यों का दुश्मन कैसे बन गया ।
अभी कुछ सालों पहले तो लोग मुझे पालते थे, चारा देते थे, लेकिन मनुष्य ज्यादा सभ्य हो गया, ट्रैक्टर ले आया, पम्पिंग सेट से पानी निकालने लगा और मुझे खुला छोड़ दिया, मैं कहाँ जाता ? कहाँ चरता ? मनुष्य ने चरागाहों पर कब्जा कर लिया, अब पापी पेट का सवाल है, अपने पेट के लिए अपने मित्र मनुष्य से संघर्ष शुरू हो गया।
यहां तक कि कुछ लोगों ने अपना पेट भरने के लिए मुझे काटना भी शुरू कर दिया। मैं फिर भी चुप रहा, चलो किसी काम तो आया तुम्हारे । मेरी माँ ने मेरे हिस्से का दूध देकर तुम्हे और तुम्हारे बच्चों को पाला लेकिन अब तो तुमने उसे भी खुला छोड़ दिया ।
इधर, पिछले सालों से कई मनुष्य मित्रों ने मुझे कटने से बचाने के लिए अभियान चलाया, लेकिन जब मैं अपना पेट भरने गलती से उनकी फसल खा गया तो वही मित्र मुझे बर्बादी का कारण बताने लगे, शायद अब यही चाहते हैं कि मैं काट ही दिया जाता।
मित्र बस इतना कहना चाहता हूं कि मैं तुम्हारी जीवन भर सेवा करूंगा, तुम्हारे घर के सामने बंधा रहूँगा, थोड़े से चारे के बदले तुम्हारे खेत जोत दूंगा, रहट से पानी निकाल दूंगा, गाड़ी से सामान ढो दूंगा, बस मुझे अपना लो
लेकिन क्या मेरे इस निवेदन का तुम पर कोई असर होगा ?
अरे तुम लोग तो अपने लाचार मां बाप को भी घर से बाहर निकाल देते हो, फिर मेरी क्या औकात..??
गो वंश की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने बछ बारस मनाने की परंपरा शुरू की थी, इसे गौवत्स द्वादशी भी कहते हैं- बछ बारस, भाद्रपदं महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाई जाती है।
बछ यानि बछड़ा गाय के छोटे बच्चे को कहते हैं । इस दिन को मनाने का उद्देश्य गाय व बछड़े का महत्व समझाना है। यह दिन गोवत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। गोवत्स का मतलब भी गाय का बच्चा ही होता है। बछ बारस का यह दिन कृष्ण जन्माष्टमी के चार दिन बाद आता है । कृष्ण भगवान को गाय व बछड़ा बहुत प्रिय थे,, गाय में सैकड़ों देवताओं का वास माना जाता है। गाय व बछड़े की पूजा करने से कृष्ण भगवान का गाय में निवास करने वाले देवताओं का और गाय का आशीर्वाद मिलता है जिससे परिवार में खुशहाली बनी रहती है, ऐसा माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन गाय की सेवा करने से, उसे हरा चारा खिलाने से परिवार में महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा परिवार में अकालमृत्यु की आशंकाएं समाप्त होती