16/02/2021
ज़िन्दगी जानवर की बदहाल है,
पूछता खुद-ब-खुद में सवाल है |
आदमी क्यूँ बदल रहा चाल-ढाल है,
जगह जानवर की लेने को तैयार है||
पहले तो मिल जाती थी जूठन या रोटी दो,
अब आदमी चाहता है बस इनकी बोटी हो|
फिरते है य़े आवारा कुत्ते बिल्लियाँ,
विभिन्न जाति के य़े मवेशियां||
भूख इनकी भी होती है तीव्र,
पर समझता नहीं इन्हें कोई जीव |