03/02/2023
कौन हो तुम किस लिए मोन हो तुम,
देखा है तुमने आत्महत्या करते किसान के मासूम बच्चों को।
महसूस किया उनका दर्द जिनको नक्सलवाद के नाम से जंगलों से खदेड़ा जा रहा है।
कौन हो तुम किस लिए मौन हो तुम।
महसूस किया तुमने लाखों हेक्टर जमीने सरकारों ने उद्योगपतियों को बांट दी है।
जानने का प्रयास किया बॉर्डर से यह फौजियों की लाशें क्यों आती है।
कौन हो तुम किस लिए मौन हो तुम।
कभी जानने का प्रयास किया मन्दिर मस्जिदों में जाने वाला करोड़ों का धन कई टन सोना चांदी कहां जा रहा है।
सर्च किया तुमने देश के उद्योगपति धन लेकर इंग्लैंड ही क्यों भागते हैं।
कौन हो तुम किस लिए मौन हो तुम।
कैसे होता है 120000 की तनखा बनाने वाला विधायक 5 वर्ष में करोड़पति।
कैसे बनता है 5000 की तनख्वाह पाने वाला सरपंच लखपति।
कौन हो तुम किस लिए मौन हो तुम।
क्या तुम घड़ी के वह पेंडुलम हो जो हिलते भर हो पहुंचते कहीं नहीं। या फिर दिशाहीन पथिक हो ना मंजिल ना रास्तो का निर्माण है।
कौन हो तुम किस लिए मोन हो तुम।
सोचा कभी समतामूलक समाज का निर्माण कैसे होगा।
प्रयास किया ग्राम गणराज्य की रचना कैसे होगी।
कौन हो तुम किस लिए मौन हो तुम।
पड़ा कभी भगत सिंह बिरसा मुंडा विजय सिंह पथिक।
जानना चाहा कभी जयपाल सिंह मुंडा चौधरी चरण सिंह जयप्रकाश नारायण
को
कोई शोषण नहीं यह तुम्हारी ना मर्दानगी है।
क्यों नहीं उठाते सवाल कॉलेजियम व्यवस्था पर। क्यों नहीं लड़ते हो जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी पर।
कौन हो तुम किस लिए मौन हो तुम।
Dharma dhakad