19/06/2022
"मुझे छांव में रखा खुद जलते रहे धूप में,,
मैंने देखा है एक फरिश्ता पिता के रूप में"
हम सभी को अपने पिता से प्यार है,
दूसरों के पिता की भी हम इज्जत करते हैं।
पिता तथा पितृभाव के बिना हमारा जीवन कैसा होता इसकी कल्पना भी मुश्किल है।।
लेकिन जब बात जानवरों पर आती है तो हम इतना दोहरा व्यवहार क्यों करते हैं?
बकरा, मुर्गा, बैल,भैंसा, घोड़ा, खच्चर ये सभी किसी जीव के पिता हैं।
ये भी चाहते हैं कि अपने बच्चों को प्यार करें, उनके साथ खेले उनको lick करें।
लेकिन हम सोचते हैं कि पितृभाव केवल मानव में होता है...
इसलिए दूसरे जीवों के पिता का हम भरपूर शोषण करते है।।
उन्हें मारते है, काटते हैं, खाते है।
अगर आप "पितृभाव" शब्द की कद्र करते हैं तो दुनिया के किसी भी पिता को उस से अलग ना कीजिये,
ना पिता पुत्र/पुत्री के अलग होने का कारण बनिये।
●किसी भी पिता को{बकरा)अपने पेट की कब्र में ना दफनाएं।
●किसी भी पिता को जबरदस्ती दूध के लिए पैदा करवा कर फिर उसे ( बछड़ा,बैल,सांड) सड़क पर मरने के लिए ना छोड़ें।
●किसी भी पिता के ऊपर बैठ कर उसका दम ना निकालें (खच्चर)
●किसी भी पिता की चमड़ी से बना समाना(Leather) ना खरीदें।
Father day पर अपने पिता को गिफ्ट डे की आप अब किसी भी पिता पुत्र sepration का पार्ट नहीं बनेंगे।
Fatherfood के नाम पर Diplomatic behavior नहीं अपनाएंगे।
#वीगन और #शाकाहारी जीवनशैली को अपनाइए।
क्योंकि ये प्रकृति निर्दयी होने में समय नहीं लेती ...
जब अति हो जाती है।