Sains desi ghee

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SAINS DESI GHEE

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31/07/2023

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पैकिंग आटा में कीड़े क्यों नही पड़ते ??आंखें खोल देने वाला सच ...एक प्रयोग करके देखें गेहूं का आटा पिसवा कर उसे 2 महीने ...
17/05/2023

पैकिंग आटा में कीड़े क्यों नही पड़ते ??

आंखें खोल देने वाला सच ...
एक प्रयोग करके देखें गेहूं का आटा पिसवा कर उसे 2 महीने स्टोर करने का प्रयास करें।
आटे में कीड़े पड़ जाना स्वाभाविक हैं, *आप आटा स्टोर नहीं कर पाएंगे।*
फिर ये बड़े बड़े ब्रांड आटा
कैसे स्टोर कर पा रहे हैं?
यह सोचने... वाली बात है।
एक केमिकल है- बेंजोयलपर ऑक्साइड, जिसे ' फ्लौर इम्प्रूवर ' भी कहा जाता है।* इसकी पेरमिसीबल लिमिट 4 मिलीग्राम है,लेकिन आटा बनाने वाली फर्में 400 मिलीग्राम तक ठोक देती हैं।कारण क्या है? आटा खराब होने से लम्बे समय तक बचा रहे।*बेशक़ उपभोक्ता की किडनी का बैंड बज जाए।.. कोशिश कीजिये खुद सीधे गेहूं खरीदकर अपना आटा पिसवाकर खाएं।
नियमानुसार आटे का समय..
ठंडके दिनों में 30 दिन
गरमी के दिनों में 20 दिन
बारिस के दिनों में 15 दिन का
बताया गया है।
ताजा आटा खाइये,
स्वस्थ रहिये...समझदार बनें,
अपने लिए पुरुषार्थी बन सभी
गेंहू पिसवा कर काम ले।
न कि रेडीमेड थैली का........

केवल बदलाव कर के देखे
1.) नमक सेंधा प्रयोग करे,
2.) आटा चक्की से पिसवा कर लाये,
3.) पानी मटके का पिये,
सुबह गर्म पानी पिये...
4) दूध गौमाता का पीए
आधी बीमारियों से छुटकारा पाएंगे

दही खाने का सही तरीका क्या है और इसे खाली पेट खाने से क्या फायदे मिलते हैं?दही खाना स्वास्थ्यवर्धक होता है।परंतु अगर हम ...
17/05/2023

दही खाने का सही तरीका क्या है और इसे खाली पेट खाने से क्या फायदे मिलते हैं?

दही खाना स्वास्थ्यवर्धक होता है।परंतु अगर हम इसे सही तरीके से खाते हैं तो इसके गुण और भी बढ़ जाते हैं।

सबसे पहले हम जान लेते हैं कि दही खाने का सही तरीका क्या है?

दही की तासीर गर्म होती है और छाछ तासीर में ठंडी होती है। परंतु अगर हम दही को थोड़ा सा फेंट कर खाते हैं तो इसकी तासीर ठंडी हो जाती है।आप इसमें एक दो चम्मच पानी भी मिला सकते हैं।

किस मौसम में खानी चाहिए -

दही हर मौसम में खाई जा सकती है। परंतु बरसात के मौसम में जब बरसात हो रही हो धूप ना निकली हुई हो तब इसे खाना थोड़ा सा हानिकारक होता है।

किन लोगों को दही खानी चाहिए-

दही एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो सभी लोग खा सकते हैं।यह सभी के लिए गुणकारी होती हैं। परंतु अगर घुटनों में दर्द है तो दही में थोड़ी सी सोंठ ,काला नमक और काली मिर्च मिलाकर खाएं।

अगर आप को खांसी वगैरह हैं तो थोड़ा सा मीठा डालकर दही में खा सकते हैं।अगर आप चीनी के बजाय इसमें शक्कर डालते हैं तो यह और भी ज्यादा गुणकारी हो जाती है।

अगर आपको गैस बनती है तो दही में थोड़ा सा काला नमक, दालचीनी ,काली मिर्च, भुना हुआ जीरा मिला कर खा सकते हैं।

दही को किन-किन चीजों के साथ खाया जा सकता है-

दही सब चीजों के साथ खा सकते हैं। परंतु दाल के साथ दही खाने से इतने लाभ नहीं मिलते।क्योंकि दोनों ही चीजें प्रोटीन से भरपूर हैं। दही का रायता बनाकर भी आप खा सकते हैं।

खाली पेट खाने के फायदे -

दही को कभी-कभी खाली पेट खाना बहुत ही लाभदायक होता है। क्योंकि हमारी आंतों के अंदर जो बैक्टीरिया होते हैं उन बैक्टीरिया को दही के बैक्टीरिया खा जाते हैं और हम इस तरह से काफी पेट से संबंधित बीमारियों से बच सकते हैं।

धन्यवाद

गर्मियों फिर से बस शुरू होने वाली है. घरों में कुल्हड़ में दही जमाएl. कुल्हर में जमा दही का स्वाद ही कुछ और होता है. यह अ...
14/05/2023

गर्मियों फिर से बस शुरू होने वाली है. घरों में कुल्हड़ में दही जमाएl. कुल्हर में जमा दही का स्वाद ही कुछ और होता है. यह अलग होता है और केमिकल से फ्री होने के अलावा यह फायदों से भी भरपूर होता है. इससे आपके दांत और हड्डियां मजबूत बनती हैं. लेकिन दही को मिट्टी के बर्तन में जमाया जाए तो इसका स्वाद भी बहुत अच्छा लगता है. मिटटी के बर्तन में जमा दही सेहत को कई अनेक फायदे पहुंचाता है. चलिए जानते हैं क्या है मिटटी के बर्तन में जमे दही के फायदे.।

गाढ़ा जमता है दही- मिट्टी के बर्तन में दही जमाने से ये गाढ़ा और केमिकल फ्री जमता है. ऐसा इसलिए क्योंकि मिट्टी का बर्तन पानी को सोख लेता है और इससे दही गाढा हो जाता है. गाढ़ा दही आपके शरीर के लिए फायदेमंद है.

टेम्परेचर- दही ठंडी ज्यादा अच्छी लगती है. लेकिन जब मिट्टी के बर्तनों की बात आती है तो आपको पता होगा कि मिटट्टी हीट रेसिस्टेंट है इसलिए यहां दही के टेम्प्रेचर को उतरता और चढ़ाता रहता है.

मिट्टी का फ्लेवर- दही को मिट्टी के बर्तन में जमाने से स्वाद में मिट्टी का फ्लेवर भी आता है. जब आप मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल करती हैं तो दही में एक हल्की सी मिट्टी की खुशबू आती है. जो आपको मेंटली भी फिट रखती है. मिट्टी की खुश्बू से मन शांत होता है और दिमाग की नसों को आराम मिलता है
कुल्हड़ दही हमारे स्टोर पर उपलब्ध हैं
Sains Desi ghee
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28/04/2023

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22/04/2023

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Made with 3000 years old bilona process

19/04/2023
19/04/2023
प्रतिदिन दही खाने से क्या होता है?दही सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है और इसमें कई तरह के पोषक तत्व जैसे कैल्शियम,...
15/04/2023

प्रतिदिन दही खाने से क्या होता है?
दही सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है और इसमें कई तरह के पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, विटामिन बी-2, विटामिन बी 12,पोटैशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. रोजाना एक कप दही का सेवन करना सेहत के साथ -साथ स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता

दादी  नानी  वाला  देसी घी।बचपन  का  वही  स्वाद वहीं शुद्धता।✅Made using desi cow A2 milk (certified)✅Handchurned process...
15/04/2023

दादी नानी वाला देसी घी।
बचपन का वही स्वाद वहीं शुद्धता।
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Sains Cow ghee khao or healthy raho✅Made using desi cow A2 milk (certified)✅Handchurned process (vedic bilona method)✅We...
14/04/2023

Sains Cow ghee khao or healthy raho
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10/04/2023

👀 दिल्ली रोहिणी में सबसे अच्छा ताजा, शुद्ध और प्राकृतिक A2 दूध खोज रहे हैं? Sains का A2 गाय का दूध आजमाएं! अपनी गुणवत्ता और शुद्धता के लिए जानी जाने वाली हमारी देसी गाय की नस्लों का हमारा दूध किसी भी प्रसंस्करण से अछूता है।

हम दूध निकालने के केवल ⌚ 4 घंटों के भीतर त्वरित डिलीवरी प्रदान करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि आपको सबसे ताज़ा दूध मिल सके। और सबसे अच्छी बात यह है कि हमारा दूध मिलावट या परिरक्षकों से मुक्त है, इसलिए आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आपको शुद्ध देसी गाय का दूध मिल रहा है।

रुको मत! आज ही sains का A2 गाय का दूध आजमाएं और स्वाद और गुणवत्ता में अंतर का अनुभव करें!
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यह  धूप-बत्ती वातावरण को शुद्ध,सुगंधित करके नकारत्मक ऊर्जा को नष्ट  करके  सकारात्मक  ऊर्जा  को परवाह करतीं है। इस  धूप-ब...
04/03/2023

यह धूप-बत्ती वातावरण को शुद्ध,सुगंधित करके नकारत्मक ऊर्जा को नष्ट करके सकारात्मक ऊर्जा को परवाह करतीं है।
इस धूप-बत्ती को जलाने मात्र से घर ऑफिस के वास्तुदोष दूर हो जाते है।

A2 Cow milk
03/02/2023

A2 Cow milk

गोमूत्र पीने से कभी भी कोई नुकसान नहीं होतागाय का मूत्र-जिस गाय के मूत्र की बात सनातन में कई गयी है उसको जानना जरूरी है,...
22/01/2023

गोमूत्र पीने से कभी भी कोई नुकसान नहीं होता

गाय का मूत्र-जिस गाय के मूत्र की बात सनातन में कई गयी है उसको जानना जरूरी है,

गाय देसी होनी चाहिए ,गाय के खाने या चारे को बहुत ही देखरेख के अंदर ही खिलाना चाहिए,किसी भी तरह से दूषित ना होने पाए ,या गाय गर्भ से ना हो etc,मूत्र को सही तरीके से इकट्ठा करके उसे फिल्टर किया जाना चाहिए, यह उसी तरह से होगा जैसे हम किसी फल का जूस नही बल्कि अर्क निकालते हैं ,इसीलिए गोमूत्र को गोअर्क के नाम से जानते हैं,इसे एक औषधि के रूप में हमारे ऋषियों ने मान्यता दी है और इसका वैज्ञानिक आधार भी है,

गोमूत्र नाम बहुत ही प्रचलित है जबकि गोअर्क ही इसका सही नाम है ,गोमूत्र से ही गोअर्क बनता है ,हम जिसे औषधि रूप में लेते हैं तो गोमूत्र नही गोअर्क होता है,

जो लोग ये समझते हैं कि गोमूत्र को डायरेक्ट पिया जाता है ,समझने वाला और पीने वाला दोनो मूर्ख होते हैं,ये लोग यही समझते हैं कि जिस तरह से अरब में मुसलमान ऊंट का मूत्र डायरेक्ट पीते हैं वैसे ही हिन्दू ,गाय का मूत्र पीते हैं जो एकदम मिथ्या है ,अरब में पानी की भारी कमी होती थी पहले,इसलिए अरब निवासी ऊंट का मूत्र पीकर जीवन निर्वहन करते थे,अभी भी कुछ मूर्ख ऐसा ही करते हैं

* गोमूत्र पीने से कभी भी कोई नुकसान नहीं होता: हमें एक परीक्षण किया, एक गाय को 6 साल तक थोड़ी-सी मात्रा में चारे में मिलाकर आर्सेनिक खिलाया और फिर उसके मूत्र की जांच कराई। तब जांच में कभी-भी आर्सेनिक की थोड़ी-सी भी मात्रा यानी 0.0001 कभी भी नहीं आयी। वैसे तो कहते हैं कि जो कुछ भी हम खाते-पीते हैं, वह हमारे मल और मूत्र में आ ही जाता है। लेकिन गाय के साथ ऐसा नहीं हुआ।

हमने जितना भी आर्सेनिक खिलाया चारे में मिलाकर, वह कभी-भी उसके मूत्र में आया ही नहीं। बल्कि गले में ही रुक गया। वैसे तो कहा जाता है, कि गाय के गले में शंकर जी का वास होता है। तो शायद वह जहर भी शंकर जी ने हीं पी लिया। इसलिए आर्सेनिक कभी-भी गाय के गले से नीचे पेट में उतरा ही नहीं।

लेकिन अच्छा यह होगा, आपके दिल की तसल्ली के लिए। गाय अच्छा चारा खाती हो, अच्छे वातावरण में रहती हो और नियमित रूप से घूमने के लिए जाती हो। फिर उस गाय का मूत्र सबसे ज्यादा लाभकारी होगा, ऐसा आपको लगेगा। लेकिन यदि कुछ मजबूरी आ गई। आप ऐसी जगह रहते हो, जहां पर गाय सड़कों पर घूम-घूम कर कचरा ही खाती हो और आपको कोई गाय ऐसी नहीं मिल रही हो, जो शुद्ध चारा खाती हो और नियमित रूप से घूमने भी जाती हो।

इसके विपरीत लेकिन आप बीमारी से तड़प भी रहे हैं, बिल्कुल परेशान है और उस बीमारी में आपको गोमूत्र चाहिए। तो बिना संकोच के उस कचरा खाने वाली गाय का आप गोमूत्र उपयोग कर सकते हैं यानी पी भी सकते है। यह आपको बिल्कुल भी नुकसान नहीं करेगा, फायदा ही करेगा। लेकिन शर्त यह है ki गाय शुद्ध देसीीीी नस्ल की होनी चाहिए।

गोमूत्र के बारे में अब तक की जो भी रिसर्च हुयी है, वह यही है, कि गोमूत्र के साइड इफेक्ट बिल्कुल भी नहीं होते है। इसमें ऐसा भी होता है, यदि आपने गोमूत्र ज्यादा भी पी लिया तो हमारा शरीर उसकी अधिक वाली मात्रा को पेशाब के जरिए, 10 - 15 बाद बाहर निकाल ही देगा और यदि आपने थोड़ा खराब गोमूत्र भी पी लिया, तो भी हमारा शरीर उस खराब गोमूत्र को पेशाब के जरिए, बाहर निकाल देगा। जिससे कोई भी नुकसान नहीं होता है। तो उसकी चिंता आप बिल्कुल भी मत करें। वह हमारा शरीर पेशाब के जरिए तो 10 - 15 मिनट बाद बाहर निकाल ही देगा। जितना काम का होगा, उतना ही रह जाएगा।

गौमूत्र को सबसे उत्तम औषधियों की लिस्ट में शामिल किया गया है। वैज्ञानिक कहते हैं कि गौमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण होते हैं। यदि आप गो-मूत्र का सेवन कर रहे हैं तो प्लीहा और यकृत के रोग नष्ट कर रहे हैं।गौमूत्र कैंसर जैसे असाध्य रोगों को भी जड़ से दूर कर सकता है। गोमू‍त्र चिकित्सा वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय का लीवर 4 भागों में बंटा होता है। इसके अंतिम हिस्से में एक प्रकार का एसिड होता है, जो कैंसर जैसे रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता रखता है। गौमूत्र का ‍खाली पेट प्रतिदिन निश्‍चित मात्रा में सेवन करने से कैंसर जैसा रोग भी नष्ट हो जाता है।गाय के मूत्र में पोटेशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है। दूध देते समय गाय के मूत्र में लैक्टोज की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है

गौमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर, अमोनिया, कॉपर, लौह तत्व, यूरिक एसिड, यूरिया, फॉस्फेट, सोडियम, पोटेशियम, मैगनीज, कार्बोलिक एसिड, कैल्सियम, विटामिन ए, बी, डी, ई, एंजाइम, लैक्टोज, सल्फ्यूरिक अम्ल, हाइड्राक्साइड आदि मुख्य रूप से पाए जाते हैं। यूरिया मूत्रल, कीटाणुनाशक है।

पोटेशियम क्षुधावर्धक, रक्तचाप नियामक है। सोडियम द्रव मात्रा एवं तंत्रिका शक्ति का नियमन करता है। मैग्नीशियम एवं कैल्सियम हृदयगति का नियमन करते हैं।गौमूत्र में प्रति-ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। गौमूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, आर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी संबंधित रोगों का उपचार भी संभव है।

वैदिक परम्परा से  गर्म  किया हुआ ( A2 cow milk) स्वाद वो जो  हमारी दादी  नानी पिलाती थी। C9/262 Rohini sec78506012136,94...
30/11/2022

वैदिक परम्परा से गर्म किया हुआ ( A2 cow milk) स्वाद वो जो हमारी दादी नानी पिलाती थी।
C9/262 Rohini sec7
8506012136,9416012136

हमारा  लक्ष्य  स्वास्थ्य  हिंदुस्तान क्‍यों अलग हैं ऑर्गेनिक सब्जियां गौमाता  का दूध। रासायनिक खाद और पेस्‍टीसाइड्स के प...
29/11/2022

हमारा लक्ष्य स्वास्थ्य हिंदुस्तान
क्‍यों अलग हैं ऑर्गेनिक सब्जियां गौमाता का दूध।
रासायनिक खाद और पेस्‍टीसाइड्स के प्रयोग से उगी सब्जियों के उलट इन सब्जियों को उगाने, बढ़ाने और पकाने के लिए किसी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता। इस तरह की उपज से तैयार होने वाले ऑर्गैनिक फूड हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं। और इसमें किये गये विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि वे वास्तव में गर्भवती महिलाओं और वृद्ध लोगों के लिए जैविक खाद्य पदार्थ काफी फायदेमंद साबित हुए हैं।

जब आप ऑर्गैनिक फूड का सेवन करना शुरू करते हैं, तो शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली के मजबूत होने से यह उत्पन्न होने वाले वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण को खत्म कर देते है। जिससे हमारा शरीर हमेशा स्वस्थ बना रहता है।

बेहतर होता है स्‍वाद
ऑर्गेनिक सब्जियों का उत्पादन पारंपरिक पद्धति के अनुसार होता है। इसे बिना किसी सिंथेटिक कीटनाशक का उपयोग किये ही उगाया जाता हैं। जिससे पौधे में एंटीऑक्सीडेंट तत्वो की मात्रा काफी बढ़ने लगती है। जब एंटीऑक्सिडेंट के तत्व उच्च स्तर पर पहुंच जाते है तो ऑर्गैनिक फूड खानें में स्वादिष्ट होने के साथ स्वास्थवर्धक भी होता है।

केमिकल और कृत्रिम फ्लेवर न होने के कारण, प्राकृतिक स्‍वाद अधिक होता है।

फ्रेश होती हैं ये सब्जियां
केमिकल और कृत्रिम फ्लेवर न होने के कारण, प्राकृतिक स्‍वाद अधिक होता है। ये काफी लंबे समय तक चलते है समय से पहले सड़ते नही है। इनकी फ्रेशनेस देखते ही अलग महसूस होती है। अगर आप सीधे किसान से ही ऑर्गेनिक सब्जियां खरीद रहे हैं तो आपको इनमें वह खुशबू महसूस होगी जो आप बरसों से भूले हुए थे।
हम अपने खेत में गौमाता का गोबर मूत्र गौमाता के उपले से बनी हुई राख का उपयोग करते हैं।

भारत में गाय को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। गाय को कामधेनु भी कहा जाता है। इसका दूध बच्चों के लिए पौष्टिक और बुद्धि के वि...
21/11/2022

भारत में गाय को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। गाय को कामधेनु भी कहा जाता है। इसका दूध बच्चों के लिए पौष्टिक और बुद्धि के विकास में कारगर भी पाया गया है। सभी पशुओं में गाय के दूध को सबसे अच्छा माना गया है। भारत में ज्यादातर देशी नस्ल की गाय पालने की परंपरा है। देशी नस्ल की गाय में बहुत सी खूबियाँ पायी जाती है। जो सभी इसके दूध को महत्वपूर्ण बनाती है।

देशी गायों के दूध में एक विशेष प्रोटीन पाया जाता है। जो हमे दिल की बीमारी और मधुमेह से लड़ने में सहायता करता है। यह प्रोटीन बच्चों के मानसिक विकास में भी बहुत ज्यादा सहायक होता है। शायद इसलिए ही गाय के दूध की तुलना माँ के दूध से भी की जाती है। देशी गाय को भारत में गौ माता भी कहा जाता है। भारतीय गायों में एक अलग तरह की विशेषता होती है जो दुनिया की अन्य गौ-प्रजातियों में नहीं होती। भारतीय गाय के शरीर में सूर्य-ग्रंथि अर्थात ‘सन-ग्लैंड्स’ पाए जाते है। जो दूध को गुणकारी और अमूल्य ओषधि में परिवर्तित कर देते हैं ।

विदेशी गायों के दूध में ज्यादातर ‘बीटा केसीन ए-1’ नामक प्रोटीन पाया गया है। यह शरीर के सुरक्षा तंत्र को ख़त्म करके अनेक असाध्य रोगों का कारण बनता है। बीटा केसीन ए-1 दूध पिने की वजह से बीसीएम-7 बनता है। जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होता है। इस दूध को बच्चों को पिलाने से डायबिटीज हो सकती है। यह दूध हमारे शरीर के पाचन तंत्र को खराब करता है। और दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ाता है।

A2 दूध के फायदे
यह प्रोटीन केवल देशी गायों में ही पाया जाता है। ए-2 बीटा केसीन प्रोटीन हमारे शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है इसके साथ-साथ दिल की बीमारी के खतरे को भी कम करता है। यह पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है इसलिए ये दूध नवजात शिशु को पिलाया जाता

सनातन संस्कृति की संवाहिका, गोमाता के पूजन दिवस 'गोपाष्टमी' की समस्त प्रदेश वासियों और श्रद्धालुओं को हृदय से बधाई और शु...
01/11/2022

सनातन संस्कृति की संवाहिका, गोमाता के पूजन दिवस 'गोपाष्टमी' की समस्त प्रदेश वासियों और श्रद्धालुओं को हृदय से बधाई और शुभकामनाएं।

आइए, आज इस पुण्य अवसर पर आस्था व अस्मिता की केंद्र, गोमाता की सेवा और उनके सम्मान व संरक्षण हेतु संकल्पित हों।

हम पीछे 3 वष॔  से देसी गौमता  का शुद्ध  दूध ,दही,माखन , छाछ ,घी,गुड, शक्कर ,खांड दे रहे हे।हमारा प्रयास  है कि खाने पीने...
29/10/2022

हम पीछे 3 वष॔ से देसी गौमता का शुद्ध दूध ,दही,माखन , छाछ ,घी,गुड, शक्कर ,खांड दे रहे हे।
हमारा प्रयास है कि खाने पीने के समान मै मिलावट नही होनी चाहिए।
इसी मे हमारा प्रयास है शुद्ध ऑर्गेनिक सब्जी । जो हम अपने फार्म पर गौमूत्र व गाय कै गोबर से तैयार कर रहे है आपके सहयोग ओर श्याम बाबा की कृपा से जल्द ही शुद्ध आलू प्याज ओर टमाटर आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे है।
हमारा लक्ष्य स्वस्थ्य हिन्दुस्तान
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भैया  दूज  की हार्दिक बधाई।
27/10/2022

भैया दूज की हार्दिक बधाई।

गोहाना की शान व हिन्दुस्तान मै फैमश शुद्ध देशी घी मै बनी लाला मातू राम की जलेबी sains Desi ghee के स्टोर  मै उपलब्ध  ।के...
22/10/2022

गोहाना की शान व हिन्दुस्तान मै फैमश शुद्ध देशी घी मै बनी लाला मातू राम की जलेबी sains Desi ghee के स्टोर मै उपलब्ध ।
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भारतीय देसी गाय का A2 दूध एक संपूर्ण आहार है जो हमें एवं हमारे बच्चों को किसी भी प्रकार के वायरस से लड़ने के लिए रोग प्र...
15/09/2022

भारतीय देसी गाय का A2 दूध एक संपूर्ण आहार है जो हमें एवं हमारे बच्चों को किसी भी प्रकार के वायरस से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। इसमें मुख्यत: सभी प्रकार के विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट आदि मौजूद होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है।
हमारा लक्ष्य स्वस्थ हिन्दुस्तान

भारतीय देसी गाय के दूध की होम डिलीवरी प्राप्त करने के लिए संपर्क करें - 8506012136.9416012136

कच्ची साळ सै तै जाहिर सी बात सै के माट्टी का चुल्हा भी पावैगा।अर उस चुल्हे पै बणी बाजरे की रोटी,रोटी पै टिंडी घी।गैल्यां...
13/09/2022

कच्ची साळ सै तै जाहिर सी बात सै के माट्टी का चुल्हा भी पावैगा।अर उस चुल्हे पै बणी बाजरे की रोटी,रोटी पै टिंडी घी।गैल्यां ग्वार की फळी का रायता अर मघ में सीत।ये सैं म्हारे गामां के जमा शुद्ध देशी खानपान की निशानी।
अब कती देसी जमा शुद्ध खाना रोहिणी से 10 मिनट की दूरी।
8506012136

हमारे धर्म का रहस्य...क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?जो कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे?और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे त...
07/09/2022

हमारे धर्म का रहस्य...

क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?
जो कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे?
और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?
नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।
*यह है सही कारण।*

तुमने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं?
या किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है ना.. नहीं....
बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के टेटे कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात
कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं।
पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन O2 छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है।
देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा।
और यह होगा कैसे?
मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।
तो इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने
कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार
की व्यवस्था कर दी।
जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये......

इसलिए दिमाग को दौड़ाए बिना श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है।
घ्यान रखना जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।
🙏सनातन धर्म पे उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उस पर ऊँगली उठाओ।जब आपके विज्ञान का वि भी नही था हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सी चीज खाने लायक है कौन सी नहीं...? अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजों, ऋषि मुनियों के नियमों पर ऊँगली उठाने के बजाय , उसकी गहराई को जानिये🙏

देसी गौमता  का वैदिक कोढोनी का दूध C9/262 Rohini sec 7
25/08/2022

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