22/01/2023
गोमूत्र पीने से कभी भी कोई नुकसान नहीं होता
गाय का मूत्र-जिस गाय के मूत्र की बात सनातन में कई गयी है उसको जानना जरूरी है,
गाय देसी होनी चाहिए ,गाय के खाने या चारे को बहुत ही देखरेख के अंदर ही खिलाना चाहिए,किसी भी तरह से दूषित ना होने पाए ,या गाय गर्भ से ना हो etc,मूत्र को सही तरीके से इकट्ठा करके उसे फिल्टर किया जाना चाहिए, यह उसी तरह से होगा जैसे हम किसी फल का जूस नही बल्कि अर्क निकालते हैं ,इसीलिए गोमूत्र को गोअर्क के नाम से जानते हैं,इसे एक औषधि के रूप में हमारे ऋषियों ने मान्यता दी है और इसका वैज्ञानिक आधार भी है,
गोमूत्र नाम बहुत ही प्रचलित है जबकि गोअर्क ही इसका सही नाम है ,गोमूत्र से ही गोअर्क बनता है ,हम जिसे औषधि रूप में लेते हैं तो गोमूत्र नही गोअर्क होता है,
जो लोग ये समझते हैं कि गोमूत्र को डायरेक्ट पिया जाता है ,समझने वाला और पीने वाला दोनो मूर्ख होते हैं,ये लोग यही समझते हैं कि जिस तरह से अरब में मुसलमान ऊंट का मूत्र डायरेक्ट पीते हैं वैसे ही हिन्दू ,गाय का मूत्र पीते हैं जो एकदम मिथ्या है ,अरब में पानी की भारी कमी होती थी पहले,इसलिए अरब निवासी ऊंट का मूत्र पीकर जीवन निर्वहन करते थे,अभी भी कुछ मूर्ख ऐसा ही करते हैं
* गोमूत्र पीने से कभी भी कोई नुकसान नहीं होता: हमें एक परीक्षण किया, एक गाय को 6 साल तक थोड़ी-सी मात्रा में चारे में मिलाकर आर्सेनिक खिलाया और फिर उसके मूत्र की जांच कराई। तब जांच में कभी-भी आर्सेनिक की थोड़ी-सी भी मात्रा यानी 0.0001 कभी भी नहीं आयी। वैसे तो कहते हैं कि जो कुछ भी हम खाते-पीते हैं, वह हमारे मल और मूत्र में आ ही जाता है। लेकिन गाय के साथ ऐसा नहीं हुआ।
हमने जितना भी आर्सेनिक खिलाया चारे में मिलाकर, वह कभी-भी उसके मूत्र में आया ही नहीं। बल्कि गले में ही रुक गया। वैसे तो कहा जाता है, कि गाय के गले में शंकर जी का वास होता है। तो शायद वह जहर भी शंकर जी ने हीं पी लिया। इसलिए आर्सेनिक कभी-भी गाय के गले से नीचे पेट में उतरा ही नहीं।
लेकिन अच्छा यह होगा, आपके दिल की तसल्ली के लिए। गाय अच्छा चारा खाती हो, अच्छे वातावरण में रहती हो और नियमित रूप से घूमने के लिए जाती हो। फिर उस गाय का मूत्र सबसे ज्यादा लाभकारी होगा, ऐसा आपको लगेगा। लेकिन यदि कुछ मजबूरी आ गई। आप ऐसी जगह रहते हो, जहां पर गाय सड़कों पर घूम-घूम कर कचरा ही खाती हो और आपको कोई गाय ऐसी नहीं मिल रही हो, जो शुद्ध चारा खाती हो और नियमित रूप से घूमने भी जाती हो।
इसके विपरीत लेकिन आप बीमारी से तड़प भी रहे हैं, बिल्कुल परेशान है और उस बीमारी में आपको गोमूत्र चाहिए। तो बिना संकोच के उस कचरा खाने वाली गाय का आप गोमूत्र उपयोग कर सकते हैं यानी पी भी सकते है। यह आपको बिल्कुल भी नुकसान नहीं करेगा, फायदा ही करेगा। लेकिन शर्त यह है ki गाय शुद्ध देसीीीी नस्ल की होनी चाहिए।
गोमूत्र के बारे में अब तक की जो भी रिसर्च हुयी है, वह यही है, कि गोमूत्र के साइड इफेक्ट बिल्कुल भी नहीं होते है। इसमें ऐसा भी होता है, यदि आपने गोमूत्र ज्यादा भी पी लिया तो हमारा शरीर उसकी अधिक वाली मात्रा को पेशाब के जरिए, 10 - 15 बाद बाहर निकाल ही देगा और यदि आपने थोड़ा खराब गोमूत्र भी पी लिया, तो भी हमारा शरीर उस खराब गोमूत्र को पेशाब के जरिए, बाहर निकाल देगा। जिससे कोई भी नुकसान नहीं होता है। तो उसकी चिंता आप बिल्कुल भी मत करें। वह हमारा शरीर पेशाब के जरिए तो 10 - 15 मिनट बाद बाहर निकाल ही देगा। जितना काम का होगा, उतना ही रह जाएगा।
गौमूत्र को सबसे उत्तम औषधियों की लिस्ट में शामिल किया गया है। वैज्ञानिक कहते हैं कि गौमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण होते हैं। यदि आप गो-मूत्र का सेवन कर रहे हैं तो प्लीहा और यकृत के रोग नष्ट कर रहे हैं।गौमूत्र कैंसर जैसे असाध्य रोगों को भी जड़ से दूर कर सकता है। गोमूत्र चिकित्सा वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय का लीवर 4 भागों में बंटा होता है। इसके अंतिम हिस्से में एक प्रकार का एसिड होता है, जो कैंसर जैसे रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता रखता है। गौमूत्र का खाली पेट प्रतिदिन निश्चित मात्रा में सेवन करने से कैंसर जैसा रोग भी नष्ट हो जाता है।गाय के मूत्र में पोटेशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड होता है। दूध देते समय गाय के मूत्र में लैक्टोज की वृद्धि होती है, जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है
गौमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर, अमोनिया, कॉपर, लौह तत्व, यूरिक एसिड, यूरिया, फॉस्फेट, सोडियम, पोटेशियम, मैगनीज, कार्बोलिक एसिड, कैल्सियम, विटामिन ए, बी, डी, ई, एंजाइम, लैक्टोज, सल्फ्यूरिक अम्ल, हाइड्राक्साइड आदि मुख्य रूप से पाए जाते हैं। यूरिया मूत्रल, कीटाणुनाशक है।
पोटेशियम क्षुधावर्धक, रक्तचाप नियामक है। सोडियम द्रव मात्रा एवं तंत्रिका शक्ति का नियमन करता है। मैग्नीशियम एवं कैल्सियम हृदयगति का नियमन करते हैं।गौमूत्र में प्रति-ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। गौमूत्र से बनी औषधियों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, आर्थराइटिस, सवाईकल हड्डी संबंधित रोगों का उपचार भी संभव है।