LR AGRI- Organic Compost

LR AGRI- Organic Compost LR Organic Compost is made of organic material by the strictest definition of the word.
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The ingredients that go into truly organic compost should be free of pesticides, herbicides, synthetic fertilizers and other non-organic compounds.

26/09/2020

ना डीएपी यूरिया ना स्प्रे फिर भी कपास की बंपर पैदावार ड्रिप इरिगेशन से देखिए

5 Govt schemes, promoting organic farming in India
23/09/2020

5 Govt schemes, promoting organic farming in India

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06/09/2020

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05/09/2020

आइए देखें सिक्किम कैसे बना दुनिया का पहला जैविक राज्य 🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱

03/09/2020

निमेटोड एक बहुत बड़ी समस्या है बहुत सारे किसानों के लिए आइए देखते हैं इस वीडियो में कि निमेटोड से हम कैसे छुटकारा पा सकते हैं

01/09/2020

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31/08/2020

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30/08/2020

पुआल से बनेंगे खाने के डब्बे और बर्तन🤔🤔🌱🌱🌱

29/08/2020

Future of organic farming in India 🌱🌱🌱🌱

28/08/2020

जैविक खेती,जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, वैदिक कृषि आदि की जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें 9315624306,
9311416004

26/08/2020

मल्टीलेयर खेती से कितनी कमाई हो सकती है, आइये समझें|

26/08/2020

देखिए किसानों को कैसे ठग रहे पेस्टिसाइड बनाने वाली कंपनियां, जरूरत से ज्यादा डलवाते हैं पेस्टिसाइड🤔🤔

K’taka Woman Quits Job To Turn Seed Guardian, Grows 200 Native Veggies in 2 Acres!
24/08/2020

K’taka Woman Quits Job To Turn Seed Guardian, Grows 200 Native Veggies in 2 Acres!

Bengaluru: Sangita Sharma quit a high paying job with Dubai Aluminium to turn a Seed Guardian. Annadana has preserved 800 native varieties in 18 years.

लोगों को ऑर्गेनिक फूड उपलब्ध कराने के लिए श्रिया नाहटा ने 50,000 किसानों को जोड़ा
23/08/2020

लोगों को ऑर्गेनिक फूड उपलब्ध कराने के लिए श्रिया नाहटा ने 50,000 किसानों को जोड़ा

आसपास के बहुत से किसानों से मदद की मांगने के बाद श्रिया ने एक कंपनी बनाकर अपने विजन को अमलीजामा पहुंचाने की शुरुआत ....

एल आर एग्री की टीम के साथ  पलवल, हरियाणा में  किसान भाइयों को परंपरागत जैविक खेती एवं वैदिक कृषि के बारे में जानकारी देत...
19/08/2020

एल आर एग्री की टीम के साथ पलवल, हरियाणा में किसान भाइयों को परंपरागत जैविक खेती एवं वैदिक कृषि के बारे में जानकारी देते हुए
अगर आप भी हम तो हमसे जुड़ना चाहते हैं तो आप हम से व्हाट्सएप या कॉल करके संपर्क कर सकते हैं -9311416004

16/08/2020

Develpoing Organic Garden on terrace-This video shows step by step process of starting terrace gardining, purely in organic way, growing organic vegetables & fruits on terrace,please 👍like & subscribe our channel on you tube, link is given below:
https://youtu.be/CGVtXNpWF9Y

LR ENERGY  group has started organic terrace farming🌱🌱🌱, here is the first video, how our team with our organic compost ...
16/08/2020

LR ENERGY group has started organic terrace farming🌱🌱🌱, here is the first video, how our team with our organic compost completed the work at Gurgaon, plz like, share & subscribe the you tube channel also to get updated about our further videos 🌱🌱🌱🌱

भारत का पहला त्रिगुणित रोग प्रतिरोधी टमाटर एफ 1 संकर ‘’अर्का रक्षक’’
07/08/2020

भारत का पहला त्रिगुणित रोग प्रतिरोधी टमाटर एफ 1 संकर ‘’अर्का रक्षक’’

उपलब्धियां  भारत में पहला सार्वजनिक त्रिगुणित रोग प्रतिरोधी टमाटर एफ 1 संकर ।  उपज-क्षमता 18 कि.ग्रा. प्रति पादप।  ...

27/07/2020

ऐसा किसान जिसने खेती की कमाई से खरीदी 70 लाख की BMW कार || रहता है आलीशान बंगले में || Hello Kisaan Hello Kisaan Portal - https://www.hellokisaan.com/ ::::::...

मिश्रित खेती के मौलिक सिद्धांतकृषि के लंबे इतिहास के क्रम में मिश्रित खेती के रूप परिवर्तित होते रहे। कालांतर में कृषि व...
19/07/2020

मिश्रित खेती के मौलिक सिद्धांत

कृषि के लंबे इतिहास के क्रम में मिश्रित खेती के रूप परिवर्तित होते रहे। कालांतर में कृषि वैज्ञानिकों ने मिश्रित खेती के अनेक फायदों की पहचान की। मिश्रित खेती के कुछ मौलिक सिद्धांत हैं, जो निम्नलिखित हैं:

1. विभिन्न फसलों की वृद्धि का क्रम, उनकी जड़ों की गहराई एवं उनके पोषक तत्वों की आवश्यकता अलग-अलग होती है। यदि दो ऐसी फसलें जैसे आलू + मक्का, हल्दी + अरहर, मूंगफली + अरहर, जिनमें एक उथली जड़ वाली तथा दूसरी गहरी जड़ वाली हों, तो दोनों मिट्टी की अलग-अलग सतहों से नमी एवं पोषक तत्वों का भरपूर अवशोषण तथा उपयोग करती हैं। इस प्रकार जल एवं पोषक तत्वों के उपयोग की क्षमता बढ़ने से उनकी उपज बढ़ जाती है।

2. विभिन्न ऊंचाइयों तक बढ़ने वाली फसलों के मिश्रण में कम बढ़ने वाली फसल ऐसी होनी चाहिए जिसे प्रकाश की कम तीव्रता की आवश्यकता होती हो। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि कुछ फसलों का मिश्रण अधिक सफल होता है जबकि कुछ अन्य फसलों का मिश्रण उतना लाभ नहीं दे पाता। नारियल + केला + अदरक फसल प्रणाली में सूर्य के प्रकाश का अधिकतम उपयोग होता है जिससे तीनों फसलों की अधिक उपज प्राप्त होती है। हल्दी + मक्का + अरहर भी उत्तम मिश्रण है।

3. सघन अनुसंधान से यह पता चला है कि कुछ फसलें ऐसा प्रभाव उत्पन्न करती हैं जो दूसरी फसलों के लिए अधिक लाभप्रद होता है। उदाहरण के लिए यदि दलहनी फसल मूंग को धान्य फसल ज्वार के साथ उगाया जाता है तो मूंग की जड़ों की गांठों में एकत्रित हो रहे नेत्रजन का कुछ हिस्सा ज्वार को मिलने से उसकी उपज बढ़ जाती है।ऊंचे तथा मजबूत तनों वाली फसलों के साथ लत्तर वाली फसलों को बोना उपज की दृष्टि से लाभप्रद सिद्ध हुआ है। इस फसल मिश्रण में मजबूत तनों वाली फसलें लत्तर वाली फसल की बेलों को ऊपर चढ़ने में मदद कर उनके फलन को काफी बढ़ा देती हैं जैसे ज्वार में झिंगनी या नेनुआ।

4. ऊंचे कद वाली फसलों की छाया ऐसी फसलों के लिए लाभप्रद हो जाती है जिन्हें कड़ी धूप की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे अरहर + अनन्नास, अरहर + हल्दी, अरहर + अदरक इत्यादि।

5. कुछ फसलों की उपस्थिति उसकी सहयोगी फसल को कीड़ों के आक्रमण से बचाती है। जैसे मक्का की फसल में ज्वार, लाल मिर्च में सौंफ तथा चना की फसल में धनिया की मिश्रित खेती कुछ ऐसे ही उपयोगी उदाहरण हैं।

मिश्रित खेती बनाम अन्तरवर्ती खेती

मिश्रित खेती से प्राप्त इन जानकारियों से नई संभावनाओं का उदय हुआ है। मिश्रित खेती केवल असिंचित क्षेत्रों की कृषि पद्धति थी जहां उसका एकमात्र उद्देश्य फसल को प्राकृतिक विभीषिकाओं से सुरक्षा प्रदान करना था। वैज्ञानिकों ने मिश्रित खेती को सिंचित क्षेत्रों में भी निरूपित किया। यह पाया गया कि बहुत सारी फसलों की प्रवृत्ति ऐसी है कि यदि उन्हें अलग-अलग शुद्ध फसल के रूप में लगाया जाए तथा एक खेत में उन्हें सहयोगी फसलों के रूप में लगाया जाए तो सहयोगी फसल क्रम को अधिक लाभ प्राप्त होता है। इस अनुसंधान के बाद अन्तरवर्ती खेती मात्र एक सुरक्षा का साधन न रहकर उपज एवं आय बढ़ाने की एक सक्षम विधि बन गई है। जब उद्देश्य बदले तो परिभाषाएं भी बदली। मिश्रित खेती एक ही खेत और एक ही मौसम में दो या दो से अधिक फसलों को साथ-साथ किसी निश्चित कतार के बिना लगाने की पद्धति थी। इसके विपरीत अन्तरवर्ती फसल प्रणाली जिसका उद्देश्य उपज एवं आय में वृद्धि करना है, को एक ही खेत और एक ही मौसम में दो या दो से अधिक फसलों को साथ-साथ किसी निश्चित कतार क्रम में लगाए जाने की परिभाषा दी गई। यह अन्तरवर्ती फसल प्रणाली सिंचित अथवा असिंचित दोनों परिस्थितियों में लगाई जा सकती है। इस विधि में फसलों के बीच सभी साधनों जैसे-भूमि क्षेत्र, जल, पोषक तत्वों और सूर्य की रोशनी के लिए कम से कम प्रतिस्पर्धा हो, इसका ख्याल रखा जाता है।

अन्तरवर्ती खेती बनाम समानान्तर खेती

मिश्रित खेती हो अथवा अन्तरवर्ती फसल प्रणाली, दोनों ही परिस्थितियों में फसलों का चुनाव पूर्णरूपेण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। यदि दो फसलें एक-दूसरे को लाभ पहुंचा सकती हैं तो कभी-कभी उनके एक साथ होने के कारण हानियां भी होती हैं। कुछ फसलों की जड़ों से अन्तःस्राव होता है जिसका प्रतिकूल प्रभाव कुछ फसलों पर पड़ता है। ऐसी फसलों को कभी भी मिश्रित अथवा अन्तरवर्ती फसल के रूप में नहीं लगाना चाहिए।

मिश्रित खेती के विकास के क्रम में कुछ अन्य परिस्थितियों की पहचान भी की गई जो इन्हें विशेषता प्रदान करती है। अतः ऐसी अन्तरवर्ती फसलों को एक नया नाम और एक नई परिभाषा दी गई। दूर-दूर की कतारों में लगाई जाने वाली फसलें जैसे अरहर, ईख, कपास इत्यादि की बुआई के बाद लंबे समय तक कतारों के बीच की जगह का कोई उपयोग नहीं हो पाता। ईख और अरहर की फसलों की प्रारंभिक वृद्धि दर बहुत ही कम होती है जिसकी वजह से कतारों के बीच खाली स्थान में खरपतवार निकल आते हैं जो मिट्टी से नमी एवं पोषक तत्व ग्रहण करने के साथ-साथ मुख्य फसल के पौधों को भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए विवश कर देते हैं और इसके फलस्वरूप फसल पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यदि दो कतारों के बीच खाली स्थान का उपयोग ऐसी फसल लगाकर किया जाए जो कम दिनों में तैयार हो और उसकी प्रारंभिक वृद्धि दर तेज हो, तो यह फसल, मुख्य फसल से कोई प्रतिस्पर्धा किए बिना जीवनचक्र पूरा कर लेगी। मुख्य फसल जब तक अपनी तीव्र विकास अवस्था में पहुंचेगी तब तक दूसरी फसल कट जाएगी। इस प्रकार मुख्य फसल के पौधों को बिना हानि पहुंचाए हुए एक नई अतिरिक्त फसल इसी खेत से ली जा सकती है। इस पद्धति को समानान्तर खेती का नाम दिया गया। जैसे ईख की फसल में आलू, ईख में प्याज, ईख में धनिया, ईख में मगरैला, ईख में लहसुन, इत्यादि समानान्तर फसल के उदाहरण हैं।

मिश्रित अन्तरवर्ती एवं समान्तर खेती में फसलों का चुनाव

मिश्रित खेती, अन्तरवर्ती खेती एवं समानान्तर खेती किसानों के लिए अत्यंत ही लाभप्रद कृषि प्रणालियां हैं। परन्तु इन पद्धतियों के लिए फसलों एवं किस्मों का चुनाव तथा उनकी खेती की पैकेजप्रणाली को अत्यंत सावधानीपूर्वक अपनाया जाना चाहिए ताकि किस्मों का अधिकाधिक लाभ प्राप्त हो। यथा संभव सब्जी एवं मसालों की फसलों को भी इस फसल प्रणाली में सम्मिलित किया जा सकता है क्योंकि बहुत सारी सब्जियां एवं मसाला फसलें काफी कम दिनों में तैयार होती हैं, छाया को सहन कर सकती हैं तथा ये अपेक्षाकृत अधिक शुद्ध लाभ देती हैं।

घटती हुई कृषि योग्य भूमि और बढ़ती हुई आबादी को खिलाने के लिए यह अत्यावश्यक है कि प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाई जाए। मिश्रित खेती उपज बढ़ाने का एक प्रमुख माध्यम है। उन क्षेत्रों में जहां रोजगार के साधन कम हैं, वहां पर इसको अपनाने से लोगों को रोजगार अधिक मिलता है, और प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होती है। मिश्रित, अन्तरवर्ती एवं समानान्तर खेती में सिंचित एवं असिंचित अवस्था में लगाई जाने वाली फसलों की एक तालिका नीचे दी जा रही है जो किसानों के लिए उपयोगी एवं लाभप्रद सिद्ध होगी।

सिंचित क्षेत्र के लिए मिश्रित फसल प्रणाली

रबी मक्का + आलू, आलू + बाकला, रबी मक्का + राजमा (मैदानी क्षेत्रों के लिए) रबी मक्का + धनिया (हरी पत्तियों के लिए), शरदकालीन गन्ना+ मिर्च, गन्ना + धनिया, गन्ना+मगरैला, गन्ना+ लहसुन, गन्ना+ आलू, गन्ना+गेहूं, गन्ना+अजवाइन, गन्ना+मसूर, बसन्त कालीन गन्ना+भिण्डी, गन्ना+मूंग? गन्ना+उड़द, प्याज+अजवाइन, प्याज+भिण्डी, प्याज+मिर्च, साैंफ+मिर्च।

असिंचित क्षेत्र के लिए मिश्रित फसल प्रणाली

अनाज तथा दलहनी फसलों का मिश्रण अधिक उपयोगी होता है तथा मिट्टी की उर्वराशक्ति भी बनी रहती हैः-

बाजरा+मूूंग, बाजरा+अरहर, मक्का+उड़द, गेहूं+चना, जौ+चना, जौ + मटर, ज्वार+ अरहर एवं गेहूं+मटर।

अनाज की फसलों का तिलहनी फसलों के साथ मिश्रण

गेहूं+सरसों, जौ+ सरसों, गेहूं+अलसी, जौ+अलसी

दलहनी फसलों की दलहनी तथा तिलहनी फसलों के साथ मिश्रण

अरहर+मूंग, अरहर+उड़द, अरहर+मूंगफली चना+ अलसी, चना + सरसों, मटर+सरसों, मटर+ कुसुम
दो से अधिक फसलों का मिश्रण

ज्वार+अरहर+मूंग
बाजरा+अरहर+मूंग
ज्वार+हरहर+उड़द
जौ+मटर+ सरसों
चना+ सरसों+ अलसी
चना+अलसी+कुसुम
गेहूं+चना+सरसों

आजकल के युग में खेती योग्य भूमि पर जनसंख्या का बोझ दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में मिश्रित खेती अपना कर किसान प्रति इकाई भूमि से अधिक उत्पादन ले सकते हैं। आवश्यकता केवल मानसिकता बदलने की है। आज के सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में मिश्रित खेती किसानों के लिए एक वरदान है। इसे अपनाने से अधिक आमदनी के साथ-साथ भूमि की उर्वराशक्ति भी बरकरार रहती है। साथ ही साथ रोग व्याधियों का प्रकोप भी कम हो जाता है।

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28/06/2020

हरी खाद क्या है- लाभ, उपयोग व फसलें !
हरी खाद (Green Manure) को एक शुद्ध फसल के रूप में खेत की उपजाऊ शक्ति, भूमि के पोषक और जैविक पदार्थो की पूर्ति करने के उदेश्य से की जाती है| इस प्रकार की फसलों को हरियाली की ही अवस्था में हल या किसी अन्य यंत्र से उसी खेत की मिट्टी में मिला दिया जाता है| हरी खाद (Green Manure) से भूमि का संरक्षण होता है और खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है| आज कल भूमि में लगातार फसल चक्र से उस खेत में उपस्थित फसल की पैदावार और बढवार के लिए आवश्यक तत्व नष्ट होते जाते है|

इनकी आपूर्ति और पैदावार को बनाए रखने के लिए हरी खाद (Green Manure) एक अच्छा विकल्प हो सकता है| हरी खाद के लिए बनी किस्मे, दलहनी फसले या अन्य फसलों को हरी अवस्था में जब भूमि की नाइट्रोजन और जीवाणु की मात्रा को बढ़ाने के लिए खेत में ही दबा दिया जाता है तो इस प्रक्रिया को हरी खाद (Green Manure) देना कहते है|
इसे भूमि की उर्वरक सकती बेहतर होती है ना केवल इसे उर्वरक की पूर्ति होती है बल्कि भूमि की भौतिक, रासायनिक और जैविक स्थिति में भी सुधार होता है| इससे प्रदुषण की समस्या कम होती है, लागत घटने से किसान की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और भूमि में सूक्ष्म तत्वों की आपूर्ति होती है|
इसे भूमि की उर्वरक सकती बेहतर होती है ना केवल इसे उर्वरक की पूर्ति होती है बल्कि भूमि की भौतिक, रासायनिक और जैविक स्थिति में भी सुधार होता है| इससे प्रदुषण की समस्या कम होती है, लागत घटने से किसान की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और भूमि में सूक्ष्म तत्वों की आपूर्ति होती है|
हरी खाद वाली फसलें (Green Manure Crops)
1. हरी खाद (Green Manure) वाली खरीफ की फसलें लोबिया, मुंग, उड़द, ढेचा, सनई व गवार हरी खाद की फसल से अधिकतम कार्बनिक पदार्थ और नाइट्रोजन प्राप्त करने के लिए एक विशेष अवस्था में उसी खेत में दबा देना चाहिए| इन फसलों को 30 से 50 दिन की अवधि में ही पलट देना चाहिए| क्योंकी की इस अवधि में पौधे नरम होते है जल्दी गलते है|

2. हरी खाद के लिए रवि की फसलें बरसीम, सैंजी, मटर और चना आदि फसलों का प्रयोग किया जा सकता है और कम लागत में भूमि के लिए अच्छे कार्बनिक पदार्थ प्राप्त हो सकते है|
3. अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों या जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है उसके लिए सनई और लोबिया को उपयोग में लाना चाहिए और कम वर्षा व जल वाली भूमि के लिए ढेंचा और ग्वार को महत्व देना चाहिए| दलहनी फसलों को उस जगह उपयोग में लाए जहा पानी ना ठरता हो| क्षारीय और समस्याग्रस्त क्षेत्रों के लिए ढेंचा और लोबिया उपयोग में लाना चाहिए|

हरी खाद के लाभ (Benefits of Green Manure)
1. यह खाद (Green Manure) केवल नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थो की ही आपूर्ति नही करती है बल्कि इससे भूमि को कई पोषक तत्व भी प्राप्त होते है| इसे प्राप्त होने वाले पदार्थ इस प्रकार है नाइट्रोजन, गंधक, स्फुर, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, तांबा, लोहा और जस्ता इत्यादि|
2. इसके उपयोग से भूमि में सूक्ष्मजीवों की संख्या और क्रियाशीलता बढ़ती है, तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति व उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी देखने को मिलती है|
3. हरी खाद के प्रयोग से मिट्टी नरम होती है, हवा का संचार होता है, जल धारण क्षमता में वृद्धि, खट्टापन व लवणता में सुधार तथा मिट्टी क्षय में भी सुधार आता है|

4. भूमि को को इस खाद (Green Manure) से मृदा जनित रोगों से भी छुटकारा मिलता है|

5. किसानों के लिए कम लागत में अधिक फायदा हो सकता है, स्वास्थ और पर्यावरण में भी सुधार होता है|

उपयोग कैसे करे (How to Uses)
1. जिस मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम है वहा हरी खाद (Green Manure) की दलहनी फसल को कम समय में अधिक बढवार के लिए 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन और गैर दलहनी के लिए 45 से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन बुआई के समय डालने से काफी लाभ हो सकता है| और उचित नमी के साथ इस फसल को छिडक कर बो दिया जाता है|

2. हरी फसल को बुआई से 35 से 55 दिन की अवस्था में मिट्टी पलटने वाले हल से 15 से 25 सेंटीमीटर गहराई तक पलट देना चाहिए| अगर आप इसको समय से पहले पलटेगे तो कार्बनिक पदार्थ मिट्टी को प्राप्त नही होंगे और देर से पलटेंगे तो रेशा मजबूत होने से जल्दी गलने सड़ने में समस्या हो सकती है| इसलिए इसको सही समय पर पलटे| अधिक वर्षा या तापमान के साथ यह जल्दी गल सड़ जाती है|

तो इन सब प्रक्रियाओं के द्वारा आप हरी खाद को अधिक पैदावार के लिए और मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रयोग में ला सकते है और यह आप की फसल के लिए भी बेहतर है, कम लागत में इसके द्वारा अधिक मुनाफा लिया जा सकता है|

100 Expert Gardening Tips, Ideas and Projects that Every Gardener Should Know
28/06/2020

100 Expert Gardening Tips, Ideas and Projects that Every Gardener Should Know

We’re right in the middle of spring, the perfect time to start planting flowers, vegetables, herbs, and more!  Gardening season is upon us and it’s in full swing.  Whether you are brand new to gardening

28/06/2020

आइए समझते हैं शुरुआत से कि कैसे किसान ने धीरे-धीरे रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग शुरू किया और फिर देखते देखते उत्पादन कम होने लगा और लागत कई गुना बढ़ गई इसके साथ पानी का प्रदूषण वातावरण प्रदूषित मिट्टी का प्रदूषण बढ़ता ही चला गया
दर्जनों ऐसी बीमारियां जो कभी कभी देखने को मिलती थी आज सामान्य होती जा रही हैं उसका केवल और केवल एक कारण है अत्यधिक रासायनिक कीटनाशक और उर्वरक का उपयोग यह वीडियो जरूर देखिए और उसको शेयर करना मत भूलिएगा

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