Mor Dairy Farm

Mor Dairy Farm मोर डेरी फार्म में आप सभी का सवागत है।

मोर डेरी फार्म का app आ गया है । सभी सदस्य नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके तुरंत ही जुड़ें और अपना सदस्य ID कार्ड प्राप्त करे - Powered by Kutumb App

https://kutumb.app/mor-dairy-farm?ref=M8WFT&screen=star_share

ज्यादा से ज्यादा इसको शेयर करो और लिंक पर क्लिक करके जॉइन करो।

अपने समाज के साथ में कई तीतर ऐसा ही कर रहे हैं!बाजार में एक चिड़ीमार तीतर बेच रहा था...उसके पास एक बडी जालीदार टोकरी में ...
06/01/2023

अपने समाज के साथ में कई तीतर ऐसा ही कर रहे हैं!

बाजार में एक चिड़ीमार तीतर बेच रहा था...
उसके पास एक बडी जालीदार टोकरी में बहुत सारे तीतर थे..!
और एक छोटी जालीदार टोकरी में सिर्फ एक ही तीतर था..!
एक ग्राहक ने पूछा
एक तीतर कितने का है..?
"40 रूपये का..!"
ग्राहक ने छोटी टोकरी के तीतर की कीमत पूछी।
तो वह बोला,
"मैं इसे बेचना ही नहीं चाहता..!"
"लेकिन आप जिद करोगे,
तो इसकी कीमत 500 रूपये होगी..!"
ग्राहक ने आश्चर्य से पूछा,
"इसकी कीमत इतनी ज़्यादा क्यों है..?"
"दरअसल यह मेरा अपना पालतू तीतर है और यह दूसरे तीतरों को जाल में फंसाने का काम करता है..!"
"जब ये चीख पुकार कर दूसरे तीतरों को बुलाता है और दूसरे तीतर बिना सोचे समझे ही एक जगह जमा हो जाते हैं फिर मैं आसानी से सभी का शिकार कर लेता हूँ..!"
बाद में, मैं इस तीतर को उसकी मनपसंद की 'खुराक" दे देता हूँ जिससे ये खुश हो जाता है..!
"बस इसीलिए इसकी कीमत भी ज्यादा है..!"
उस समझदार आदमी ने तीतर वाले को 500 रूपये देकर उस तीतर की सरे आम बाजार में गर्दन मरोड़ दी..!
किसी ने पूछा,
"अरे, ज़नाब आपने ऐसा क्यों किया..?
उसका जवाब था,
"ऐसे दगाबाज को समाज मैं रहने का कोई हक़ नहीं है जो अपने मुनाफे के लिए अपने ही समाज को फंसाने का काम करे और अपने लोगो को धोखा दे..!"
हमारी सामाजिक व्यवस्था में भी 500 रू की क़ीमत वाले बहुत से तीतर हैं..!
जो अपनी वर्तमान राजनीति के चक्कर में समाज को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं।

और ऐसे तीतर प्रत्येक समाज में हैं। ।

😂😂😂😂😂😂😂😂
05/01/2023

😂😂😂😂😂😂😂😂

 #मात्र_5_मिनट_अपनी_संस्कृति_की_झलक_को_पढ़े-हमारा अपना नववर्ष विक्रमी सम्वत 2080 22 मार्च 2023 से शुरु होगा। इसलिए 1 जनवर...
01/01/2023

#मात्र_5_मिनट_अपनी_संस्कृति_की_झलक_को_पढ़े-
हमारा अपना नववर्ष विक्रमी सम्वत 2080
22 मार्च 2023 से शुरु होगा।
इसलिए 1 जनवरी को तो मूर्ख दिवस हैं । जो मूर्ख बनना चाहे वो 1 जनवरी को नववर्ष मनाए वरना सिर्फ कलैंडर बदले। धन्यवाद ।

● 1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ?

* न ऋतु बदली.. न मौसम
* न कक्षा बदली... न सत्र
* न फसल बदली...न खेती
* न पेड़ पौधों की रंगत
* न सूर्य चाँद सितारों की दिशा
* ना ही नक्षत्र।।

1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व है।

नया केवल एक दिन ही नही होता.. कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।

ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर:

1. #प्रकृति-
◆◆◆◆◆◆◆
1 जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I

2. #वस्त्र-
◆◆◆◆◆◆
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर..
चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I

3.
◆◆◆
विद्यालयो का नया सत्र- दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नहीं..
जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I

4. #नया_वित्तीय_वर्ष-
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
दिसम्बर-जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) कलोसिंग होती है नए वही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I

5. #कलैण्डर-
◆◆◆◆◆◆◆◆
जनवरी में नया कलैण्डर आता है..
चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीबन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I

6. #किसानो_का_नया_साल-
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है..
जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उतसाह I

7. #पर्व_मनाने_की_विधि-
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

आज सारी रात खड़दू रखने से पहले राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता भी पढ़ें।
01/01/2023

आज सारी रात खड़दू रखने से पहले राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता भी पढ़ें।

29/12/2022
28/12/2022

डकैत किसान, शरीफ कंपनियां ओर लालची उपभोक्ता

--------------------------------------

आम शहरी अधिकतर विज्ञापन देख कर किसी वस्तु को खरीदने के बारे मे अपनी राय बनाता है। एक फ़िल्म एक्ट्रेस जिसे भैंस ओर गाय का अंतर नही पता वो विज्ञापन मे बोलती है 'फलाँ दूध पीता है इंडिया' और आपकी ग्रह लक्ष्मी अगले दिन से आपके बच्चो को उसी पैकेट का दूध पिलाने लगती है। मैं निजी तजुर्बे से दावा करता हूँ कि इस पोस्ट को पढ़ने वाली दादी, माता, या बहने विज्ञापन के बजाये उस दूध की क्वालिटी को चेक करने के लिये एक कदम तक नही उठाती। उनकी अधिकतर सोच दूध गरम करने पर ऊपर 'मलाई कैसी आयी' तक सीमित है। (वैसे भी नकली दूध पर मलाई ज्यादा मोटी आती है)

अच्युतानंद Vs यूनियन ऑफ इंडिया(2012) के सुप्रीम कोर्ट केस मे कृषि मंत्रालय और खाद्यमंत्रालय के आंकड़ो को देखे या फिर भारत मे मीट एक्सपोर्ट (इंडिया is No 1 in मीट एक्सपोर्ट) के लिये लगातार काटी जाती गाय भैंस की घटती संख्या को देखे, भारत मे डेली पियें जाने वाले दूध का बड़ा हिस्सा गाय-भैंस से नही आता। बल्कि बाहरी देशों से स्किम्ड मिल्क पाउडर खरीदकर उसमे पानी, पामोलीन आयल मिलाकर रेकांस्टीटूटेड दूध थैलियों मे परोसा जाता है। असली दूध पैदा करने मे किसान का खर्च ओर ये नकली दूध पैदा करने के खर्च मे बड़ा अंतर है। भारत के खाद्य मंत्री हर्ष वर्धन के संसद मे दिये बयान के अनुसार 86% दूध मिलावटी ओर 67% दूध तो जहरीला है।

आप पशु को खिलाने के लिये फीड की बात करे तो फीड कंपनी कहती है प्रति लीटर 400 ग्राम प्लस 1.5 kg (बॉडी सपोर्ट के लिये) फीड खिलाया जाना चाहिए।
अगर एक गाय 10 लीटर दूध देती है तो उसका फीड हुआ 4+1.5 kg = 5.5 kg जिसका बाजार भाव हुआ Rs 137/- (@25 Rs kg)
चारा, दवा, Dr, min mixture, लेबर, बिजली, पानी, कैपिटल कॉस्ट, death rate etc मिलाओ तो कुल मिलाकर हुआ लगभग 60-65 Rs प्रतिदिन
अब अगर इस गाय का दूध 4 के FAT ओर 8 का SNF वाला हो तो उसका रैट होगा 20 Rs लीटर मतलब टोटल 200 Rs का दूध ओर 200 का खर्चा।
जैसे ही गाय लांग dry पीरियड मे गयी तो समझो किसान को लगभग 4000 Rs महीने का अलग से नुकसान।

अगर एक डेरी के प्रैक्टिकल खर्च जोड़कर किसान दूध पैदा करे तो प्रोडक्शन कॉस्ट 28 - 35 Rs लीटर तक पड़ती है। किसान का 1 लीटर घी बनाने मे, गरम करने, फिल्ट्रेशन वगैरा की 7-8% वेस्टेज के बाद 28-29 लीटर दूध लगता है। मतलब 850 से 950 Rs के बीच का खर्च सिर्फ दूध का है। ऐसे मैं जब किसान अपने घी का रेट 900-1000 Rs लीटर मांगता है तो उपभोक्ता किसान को डकैत ठहराता है। क्योंकि कंपनियां घी को आधे रेट मे बेचती है। भारत के बूचड़खानों से निकलने वाली चर्बी (tellow) से बनने वाला घी किन किन ब्रांड्स मे पैक होता है ये जानने की ज़िम्मेदारी लेने को उपभोक्ता तैयार नही। कंपनियों द्वारा जहरीले दूध द्वारा बनाये गए सस्ते घी से खुद के लिये दिल की बीमारियां घर लाता है ओर साथ लाता है अपने बच्चो के लिये जहर मिला दूध। कंपनी फायदा उठाती है भारत के जाहिल उपभोक्ता का जो विज्ञापन को ही सच मानकर vegitable आयल के रेकांस्टीटूटेड मिल्क को पीने और जहरीला घी खाने के स्वयं ज़िम्मेदार है।

लालच या सेहत! फैसला आपका
स्वच्छ भारत तो चाहिये पर स्वच्छ खाना! फैसला आपका
चतुर कंपनियां या डकैत किसान! फैसला आपका।

🙏🙏 Mor Dairy Farm 🙏🙏

कुछ ऑर्गेनिक खाद
28/12/2022

कुछ ऑर्गेनिक खाद

राजू के पास रात को सांताक्लॉज आया और बोला कि कोई wish मांगो ........ राजू बोला : मेरी बीवी, झगड़ा बहुत करती है कोई दूसरी...
25/12/2022

राजू के पास रात को सांताक्लॉज आया और बोला कि कोई wish मांगो ........

राजू बोला : मेरी बीवी, झगड़ा बहुत करती है कोई दूसरी बीवी दिलवा दो

इसके बाद सांताक्लॉज ने राजू को बहुत मारा

फिर पता चला राजू की बीवी ही सांताक्लॉज बन के आयी थी
सावधान रहें

सतर्क रहे
किसी और के नहीं खुद के त्योहार ही मनायें।

😂😂😂😂

22/12/2022
गायों की अलग अलग नस्ले, आप के क्षेत्र मे इन नस्लों मे से कौनसी नस्ल देखने को मिलती है
22/12/2022

गायों की अलग अलग नस्ले, आप के क्षेत्र मे इन नस्लों मे से कौनसी नस्ल देखने को मिलती है

पानी की बोतल का ध्यान आते ही सबसे पहले जो नाम याद आता है, वह है - बिसलेरी। बिसलेरी पानी की बोतल के व्यापार की सफलता को द...
21/12/2022

पानी की बोतल का ध्यान आते ही सबसे पहले जो नाम याद आता है, वह है - बिसलेरी।

बिसलेरी पानी की बोतल के व्यापार की सफलता को देखकर जगह जगह बोतलबंद पानी का व्यापार गली गली में फैल गया। मगर बिसलेरी की गुणवत्ता और नैतिक व्यापार की खूबी किसी में नहीं दिखी। कितनी बोतलें तो किसी और नाम की होती हैं, मगर बिसलेरी मांगने पर वही दे दी जाती हैं। सबने बिसलेरी की प्रतिद्वंदिता कर ली, मगर बिसलेरी को कोई प्रतिस्थापित आज तक नहीं कर पाया है। मगर दुखद समाचार आया है कि......

देश की सबसे बड़ी पैकेज्ड वॉटर कंपनी बिसलेरी (Bisleri) अपना कारोबार बेचने जा रही है। बिसलेरी अपना कारोबार टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के हाथों बेचने की तैयारी कर रही है। 7000 करोड़ रुपए में ये डील होगी। बिसलेरी इंटरनेशनल के मालिक रमेश चौहान ने इकोनॉमिक्स टाइम्स के साथ अपने इंटरव्यू दौरान के कहा कि उत्तराधिकारी के अभाव में वे अपनी कंपनी को बेचने जा रहे हैं।

कृपया ध्यान दें
उत्तराधिकारी के अभाव में..... इतनी बडी कंपनी में उत्तराधिकारी नहीं, क्योंकि रमेश चौहान जी का कोई पुत्र नहीं है। इतना बड़ा व्यापार खड़ा तो किया, मगर परिवार नियोजन के नारे से प्रभावित हर हिंदू की तरह देश हित में केवल एक ही संतान पैदा किया।

ये सबक है हिन्दू परिवारों के लिए जो एकल परिवारों मे रहते हैं या जिन्होंने फैशनवश केवल एक ही औलाद रखी है। खबर है कि उनकी एकमात्र सन्तान जो कि एक लड़की है वो अपनी शर्तों पर जीना चाहती है, उसे अपने पिता के व्यवसाय से कोई मतलब नही।

आप व्यापार से, अपने परिश्रम से भले ही साम्राज्य खड़ा कर लीजिए, मगर कल उसे देखने वाला कौन होगा, इसका भी ध्यान रखना होगा। । आपकी काम करने की शेष उम्र 40- 45 वर्ष बीतने में देर नहीं लगती और तब अगर परिवार में बच्चे संभालने वाले नहीं हैं तो अनुभव होने लगता है कि सब व्यर्थ में किया। आज भारतवर्ष में सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या विस्फोट की कही जाती है, जबकि यही विस्फोट दुनिया में भारतवर्ष की सबसे बड़ी ताकत भी बनकर उभरा है। दुनिया के जाने कितने समृद्ध देश जनसंख्या की कमी के कारण आप्रवासियों को शरण देकर अपने अस्तित्व को बचाने में लगे हैं तो भारतवर्ष की युवा पीढ़ी विश्व में अपनी योग्यता का डंका बजा रही है। विश्व का सबसे बडा बाजार इसी दम पर आज भारत बना हुआ है, जिससे सभी अपना व्यापार बढ़ाने को लालायित हैं। इसलिए एक बच्चे की मानसिकता को छोड़ अपना परिवार विकसित कीजिए। वैसे भी जिसकी संख्या अधिक है, उसी के हाथ सबकुछ है। यूरोप की स्थिति पर गहन दृष्टि डालिए, सामाजिक संकट और एकाकीपन से उपजी हताशा को भरा पूरा परिवार ही दूर कर सकता है।

गाय विभाजन संकेतक:***************************कैसे पता चलेगा कि गाय कब बछड़े देगी?गाय का बछड़ा देना और यह जानना कि आपकी ग...
30/11/2022

गाय विभाजन संकेतक:
***************************

कैसे पता चलेगा कि गाय कब बछड़े देगी?

गाय का बछड़ा देना और यह जानना कि आपकी गाय कब बछिया देगी, महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका मतलब आपके बछड़े, गाय या दोनों के जीवन या मृत्यु के बीच का अंतर हो सकता है।

इसलिए यह जानना जरूरी है कि जब आपकी गाय जन्म देने वाली हो तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। गाय इंसानों की तरह बहुत हैं, सभी की अलग-अलग समस्याएं हैं।

बहुत से लोग अच्छे जीवन और गृहस्थी के बारे में सपने देखते हैं और पनीर बनाने के लिए दूध देने वाली गाय भी रखना चाहेंगे। हालांकि, इसका मतलब यह भी है कि गाय को नियमित रूप से संभोग करना पड़ता है और जुड़वाँ बच्चे होने पर उसके बछड़े या कभी-कभी बछड़े होंगे। जब आपको इस तरह की स्थिति में रखा जाता है और गाय के बछड़े के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है तो यह थोड़ा भारी हो सकता है।

उम्मीद है, जब आपकी गाय मंगेतर थी, तो आप मौजूद थे और उस महीने को जानते थे कि बछड़ा होने की उम्मीद है। यह भी आशा की जाती है कि आपकी गाय या तो उसी नस्ल या आकार के बैल के साथ मिल गई हो। यदि आपकी जर्सी गाय का मिलन एक बड़े हियरफोर्ड बैल के साथ हुआ होता तो आपको बहुत सारी समस्याएँ होतीं।

1.बछना और नियत तिथि जानना:

बछड़े के जन्म के महीने को जानने से चीजें बहुत आसान हो जाती हैं और अगर आप सतर्क हैं तो आप प्रगति का पालन करने में सक्षम होंगे। गाय के गर्भधारण के पहले लक्षणों में से एक गाय की भूख में वृद्धि और थन का बढ़ना होगा।

थन का बढ़ना आमतौर पर 7 महीने में होता है। यदि आप अभी भी अपनी गाय का दूध दुह रहे हैं, तो उसे ब्याने से 6 सप्ताह पहले सुखा देना चाहिए। यदि आपकी गाय बहुत छोटी है, तो बछड़े के जन्म से 12 सप्ताह पहले उसे सुखाना बेहतर होगा, ताकि उसका वजन बढ़ सके और थोड़ा बढ़ने में समय लगे।

2. ब्याने और एक सप्ताह पहले:

गाय के ब्याने से पहले अंतिम सप्ताह में स्पष्ट संकेत ज्ञात होते हैं। पेट फैला हुआ है, पेट के नीचे दूध की नसें आसानी से देखी जा सकती हैं, अक्सर पेट के नीचे एक वी-आकार में।

गाय का पिछला हिस्सा ढीला हो जाता है और थन फूलने लगते हैं। साथ ही पसलियां उतनी दिखाई नहीं देंगी और भारी पेट के साथ अधिक भोजन करना अन्य लक्षण हैं

3. ब्याने से 24 घंटे पहले:

गाय के जन्म देने के 24 घंटे के भीतर गाय बहुत धीमी गति से चलती है, अपने पिछले पैरों को थोड़ा घसीटती है या लुढ़कती हुई चाल से चलती है।

पसलियां भी अब अधिक स्पष्ट हैं क्योंकि पेट गिर गया है। बछड़े देने की प्रक्रिया से दो दिन पहले तक आपकी गाय बाकी गायों या खेत के शोर से दूर एक शांत शांत स्थान की तलाश करना शुरू कर देगी। तो उस शांत झाड़ी या लम्बे नरकट में छिपने के लिए इस प्रकार के व्यवहार पर ध्यान दें।

4. ब्याने से पहले घंटे:

गाय के जन्म देने के कुछ ही घंटों के भीतर गाय अजीब तरह से व्यवहार करती है, अक्सर बेचैन रहती है और पीछे के मार्ग से एक सफेद पारदर्शी झिल्ली अक्सर रोती हुई दिखाई देती है। इसे देखने के एक घंटे के भीतर आप बछड़े के खुरों को प्रकट होते देखेंगे।

यदि खुर उचित स्थिति में हैं, तो उन्हें एक साथ बाहर आना चाहिए, एक के ऊपर एक और नीचे की ओर। यदि खुर ऊपर की ओर हैं तो इसका मतलब परेशानी है क्योंकि इसका मतलब है कि बछड़ा या तो उल्टा है या पीछे की ओर है - दोनों स्थितियों में पशु चिकित्सक की आवश्यकता होती है।

5. ब्याने के दौरान:

गाय के बछड़े के दौरान गाय जितनी बार सहज महसूस करती है उतनी बार खड़ी या लेटती है और इन दो स्थितियों के बीच उसका हिलना बिल्कुल सामान्य है।

जैसे ही उसका पानी टूटेगा, वह उस जगह को सूंघ लेगी और रंभाने लगेगी क्योंकि उसे विश्वास है कि बछड़ा किसी तरह वहां है।

हालाँकि, जब संकुचन गाढ़ा और तेज़ हो जाता है और वह बछड़ा देने के लिए तैयार हो जाती है तो गाय लेट जाएगी और धक्का देना शुरू कर देगी।

खुरों के उभरने के साथ पहले सिर और फिर कंधों का अनुसरण होता है। चूंकि यह बछड़े का सबसे चौड़ा हिस्सा होता है इसलिए गाय के लिए यह सबसे कठिन होता है और इस प्रक्रिया में उसे अपना समय लग सकता है।

एक बार जब बछड़ा अंत में बाहर हो जाता है तो गाय बछड़े को ढकने वाली झिल्ली से छुटकारा पाने के लिए जोर से बछड़े को चाटेगी।

बछड़े को चाटना गाय के बछड़े में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बछड़े के रक्त प्रवाह को उत्तेजित करता है और यह मां और बच्चे के बीच एक महत्वपूर्ण बंधन भी बनाएगा।

माँ अक्सर रँभाती रहेगी और बछड़ा जवाब देगा और अपने लड़खड़ाते पैरों पर खड़ा होने की कोशिश करेगा। 20 मिनट के भीतर यह अपने फीड पर आ जाएगा और शुरू हो जाएगा

स्वैग्स वेट क्लिनिक

06/11/2022

Sarpanchi ke election 🙏🙏🤣🤣🤣🤣

खेतों में कीड़े मकोड़े और बिच्छू से बचने का तरीका
03/11/2022

खेतों में कीड़े मकोड़े और बिच्छू से बचने का तरीका

जापान में युद्ध के दौरान इस लड़के ने अपने मृत भाई को दफनाने के लिए अपनी पीठ पर लाद लिया। एक सिपाही ने यह देखा और उससे कह...
02/11/2022

जापान में युद्ध के दौरान इस लड़के ने अपने मृत भाई को दफनाने के लिए अपनी पीठ पर लाद लिया। एक सिपाही ने यह देखा और उससे कहा कि तू इस मृत बच्चे को छोड़ दे क्योंकि तू बहुत थका हुआ होगा और आगे बढ़ने में असमर्थ होगा।
तो उस लडके ने उत्तर दिया: वह भारी नहीं है, वह मेरा भाई है!
सिपाही समझ गया और बहुत रोया। तब से यह छवि जापान में एकता का प्रतीक बन गई है।
आज जरूरी है कि हम जीवन में इस वाक्य को आदर्श वाक्य बनाएं: "ये भारी नहीं है। ये मेरा भाई है ...

"अगर वह गिर जाए तो उसे उठा लेना, थक जाने पर उसकी मदद करना, और अगर वह कमजोर है तो उसे सहारा देना, अगर वह गलती करता है तो उसे माफ कर देना, और अगर दुनिया उसे छोड़ देती है, तो उसे अपने कंधों पर ले लो,
क्योंकि वो भारी नहीं है।" .वो तुम्हारा भाई.. ️है|

** **🙏🙏🌹🌹

😄😄⌨️⌨️⌨️⌨️एक चौधरी ने गली में भैंस बांधने के लिए खूंटा गाड़ दिया। सारे मोहल्ले के चौधरी इकट्ठे हुए और उससे खूंटा उखाड़ने...
31/10/2022

😄😄
⌨️⌨️⌨️⌨️
एक चौधरी ने गली में भैंस बांधने के लिए खूंटा गाड़ दिया। सारे मोहल्ले के चौधरी इकट्ठे हुए और उससे खूंटा उखाड़ने के लिए कहा, परन्तु वो चौधरी नहीं माना... !

आखिर में पंचायत बुलाई गई...
पंच इकट्टे हुए और चौधरी को समझाया...

पंच:- चौधरी तूने खूंटा गलत जगह गाड़ रखा है !

चौधरी:- मानता हूं भाई

पंच:- खूंटा यहां नहीं गाड़ना चाहिए था

चौधरी:- मानता हूं भाई

पंच:- खूंटे से टकराकर बच्चों को चोट लग सकती है !

चौधरी:- मानता हूं भाई

पंच:- भैंस गली में गोबर करती है, गन्दगी फैलती है

चौधरी:- मानता हूं भाई

पंच:- भैंस गली में निकलने वालों को पूंछ और सींग भी मार सकती है

चौधरी:- मानता हूं भाई

पंच:- तो फिर खूंटा उखाड़ दे भाई

चौधरी:- मैंने आपकी सारी बातें मान लीं !
अब एक बात आप सब लोग मेरी भी मान लो !

पंच:- बताओ तुम्हारी एक बात जरूर मानी जायेगी !

चौधरी:- *खूँटा तो यहीं गड़ेगा...* !!
🤣🤣🤣

अनाथालय से ऑस्ट्रेलिया टीम के कैप्टन तक की यात्रा! "जन्म देने के बाद लड़की को फेंकने वाले माता-पिता अंदर ही अंदर रो रहे ...
31/10/2022

अनाथालय से ऑस्ट्रेलिया टीम के कैप्टन तक की यात्रा!

"जन्म देने के बाद लड़की को फेंकने वाले माता-पिता अंदर ही अंदर रो रहे होंगे क्योंकि वे अपनी पैदा हुई बेटी से भी नहीं मिल सकते"

महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक अनाथालय है, जिसे 'श्रीवास्तव अनाथालय' कहा जाता है। 13 अगस्त 1979 को शहर के एक अनजान कोने में एक लड़की का जन्म हुआ, माता-पिता को नहीं पता था कि यह एक मजबूरी है, कि उन्होंने सुबह-सुबह इस अनाथालय के पालने में अपने जिगर का एक टुकड़ा फेंक दिया, प्रबंधक अनाथालय की प्यारी सी बच्ची का नाम 'लैला' रखा गया।

उन दिनों हरेन और सू नाम का एक अमेरिकी जोड़ा भारत घूमने आया था। उनके परिवार में पहले से ही एक लड़की थी, भारत आने का उनका मकसद एक लड़के को गोद लेना था। वे एक सुन्दर लड़के की तलाश में इस आश्रम में आए। उन्हें एक लड़का नहीं मिला, लेकिन सू की नज़र लैला पर पड़ी और लड़की की चमकीली भूरी आँखों और मासूम चेहरे को देखकर उसे उससे प्यार हो गया।

कानूनी कार्रवाई करने के बाद, लड़की को गोद ले लिया गया, सू ने अपना नाम लैला से बदलकर 'लिज' कर लिया, वे वापस अमेरिका चले गए, लेकिन कुछ वर्षों के बाद वे सिडनी में स्थायी रूप से बस गए।

पिता ने बेटी को क्रिकेट खेलना सिखाया, घर के पार्क से शुरू होकर गली के लड़के के साथ खेलने तक का यह सफर चला। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून अपार था, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की। उसे एक अच्छा मौकि मिला, उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और आगे बढ़ गई। पहले वो बोलती थीं, फिर उनका बल्ला बोलने लगा और फिर उनके रिकॉर्ड बात करने लगे.

1997- न्यू-साउथ वेल्स द्वारा पहला मैच
2001- ऑस्ट्रेलिया का पहला ODI
2003- ऑस्ट्रेलिया द्वारा पहला टेस्ट
2005- ऑस्ट्रेलिया द्वारा पहला टी20

आठ टेस्ट मैच, 416 रन, 23 विकेट
125 वनडे, 2728 रन, 146 विकेट
54 टी-20, 769 रन, 60 विकेट

वनडे में 1000 रन और 100 विकेट लेने वाली पहली महिला क्रिकेटर

जब आईसीसी की रैंकिंग प्रणाली शुरू हुई तो वह दुनिया के नंबर एक ऑलराउंडर थे।

ऑस्ट्रेलियाई कप्तान! बहुत खूब!
ODI और T-20 - चार विश्व कप में भाग लिया।

2013 में उनकी टीम ने क्रिकेट विश्व कप जीता, उसके अगले दिन इस खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने लीजा स्टालगर को अपने हॉल ऑफ फेम में शामिल किया है।

इसलिए कहा जाता है कि हर इंसान अपनी किस्मत लेकर आता है, माता-पिता ने लड़की को एक अनाथालय में छोड़ दिया, लेकिन नियति उसे पहले अमेरिका ले गई और फिर उसे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का कप्तान बना दिया और उसे दुनिया के महान क्रिकेटरों में से एक बना दिया।

🙏❤️

👍👍👍👌
23/10/2022

👍👍👍👌

धनतेरस पर एक झाड़ू बेचने वाले बनिये के हालात देखें।😂
23/10/2022

धनतेरस पर एक झाड़ू बेचने वाले बनिये के हालात देखें।😂

अब बताओ कौन है आगे,,दिखा दो अपना दम 😁😁देखियो कदे घणा लाजौ 😁🤣🤣
13/10/2022

अब बताओ कौन है आगे,,दिखा दो अपना दम 😁😁

देखियो कदे घणा लाजौ 😁🤣🤣

पपीता की व्यावसायिक खेती से प्रति हेक्टेयर होगी 10 लाख की  आमदनी!Mor Dairy Farm  भारत में पपीता अब से लगभग 300वर्ष पूर्व...
03/10/2022

पपीता की व्यावसायिक खेती से प्रति हेक्टेयर होगी 10 लाख की आमदनी!
Mor Dairy Farm
भारत में पपीता अब से लगभग 300वर्ष पूर्व में आया था। आरंभ में हम भारतवासियों ने इसे कतई भी पसंद नहीं किया। समय बीतने के पश्चात इसके क्वालिटी में सुधार हुआ और तब हमारे जायकों में इसको जगह मिलने लगी।

शीघ्र फलनेवाले फलों में पपीता अत्यंत उत्तम फल है। पेड़ लगाने के बाद वर्ष भर के अंदर ही यह फल देने लगता है। इसके पेड़ सुगमता से उगाए जा सकते हैं और थोड़े से क्षेत्र में फल के अन्य पेड़ों की अपेक्षा अधिक पेड़ लगते हैं।

इसके पेड़ कोमल होते हैं और पाले से मर जाते हैं। ऐसे स्थानों में जहाँ शीतकाल में पाला पड़ता हो, इसको नहीं लगाना चाहिए। यहाँ उपजाऊ, दुमट भूमि में अच्छा फलता है। ऐसे स्थानों में जहाँ पानी भरता हो, पपीता नहीं बढ़ता। पेड़ के तने के पास यदि पानी भरता है तो इसका तना गलने लगता है। पपीते के खेत में पानी का निकास अच्छा होना चाहिए।

पपीते के पेड़ों में नर एवं मादा पेड़ अलग होते हैं। नर पेड़ों में केवल लंबे-लंबे फूल आते हैं। इनमें फल नहीं लगते। जब पेड़ फलने लगते हैं तो केवल १० प्रतिशत नर पेड़ों को छोड़कर अन्य सब नर पेड़ों को उखाड़ फेंकना चाहिए।

पपीते के पेड़ में तीन या चार साल तक ही अच्छे फल लगते हैं। आवश्यकतानुसार यदि तीसरे चौथे साल पपीते के दो पेड़ों के बीच बीच में नए पेड़ लगते रहें तो चौथे पाँचवें साल नए फलनेवाले पेड़ तैयार होते जाते हैं। नए पेड़ तैयार हो जाने पर पुराने पेड़ों को उखाड़ फेंकना चाहिए। इसकी मुख्य किस्में हनीड्यू (मधुविंदु), सिलोन, राँची आदि हैं। पपीता खाने के अनेको लाभ है।स्वास्थ्य के लिहाज से ये एक बहुत ही फायदेमंद फल है .

कोलेस्ट्रॉल कम करन में सहायक
पपीते में उच्च मात्रा में फाइबर मौजूद होता है. साथ ही ये विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होता है. अपने इन्हीं गुणों के चलते ये कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी असरदार है.

वजन घटाने में
एक मध्यम आकार के पपीते में 120 कैलोरी होती है. ऐसे में अगर आप वजन घटाने की बात सोच रहे हैं तो अपनी डाइट में पपीते को जरूर शामिल करें. इसमें मौजूद फाइबर्स वजन घटाने में मददगार होते हैं .

रोग प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने में
रोग प्रतिरक्षा क्षमता अच्छी हो तो बीमारियां दूर रहती हैं. पपीता आपके शरीर के लिए आवश्यक विटामिन सी की मांग को पूरा करता है. ऐसे में अगर आप हर रोज कुछ मात्रा में पपीता खाते हैं तो आपके बीमार होने की आशंका कम हो जाएगी.

आंखों की रोशनी बढ़ाने में
पपीते में विटामिन सी तो भरपूर होता ही है साथ ही विटामिन ए भी पर्याप्त मात्रा में होता है. विटामिन ए आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ ही बढ़ती उम्र से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में भी कारगर है.

पाचन तंत्र को सक्रिय रखने में
पपीते के सेवन से पाचन तंत्र भी सक्रिय रहता है. पपीते में कई पाचक एंजाइम्स होते हैं. साथ ही इसमें कई डाइट्री फाइबर्स भी होते हैं जिसकी वजह से पाचन क्रिया सही रहती है.

पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में
जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दर्द की शिकायत होती है उन्हें पपीते का सेवन करना चाहिए. पपीते के सेवन से एक ओर जहां पीरियड साइकिल नियमित रहता है वहीं दर्द में भी आराम मिलता है.

पपीते की खेती से किसानों को कितना लाभ

पपीता साल भर के अंदर ही फल देने लगती है, इसलिए इसे नकदी फसल समझा जा सकता है। इसको बेचने के लिए (कच्चे से लेकर पक्के होने तक) किसान भाइयों के पास लंबा समय होता है। इसलिए फसलों के उचित दाम मिलते हैं।

1.8X1.8 मीटर की दूरी पर पौधे लगाने के तरीके से खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 65-70 हजार रुपये तक की लागत आती है, जबकि 1.25X1.25 मीटर की दूरी पर पेड़ लगाकर सघन तरीके से खेती करने पर 1.25 लाख रुपये तक की लागत आती है। लेकिन इससे न्यूनतम दो लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक की शुद्ध कमाई की जा सकती है।

पपीते को बोने का समय

पपीता उष्ण कटिबंधीय फल है। इसकी अलग-अलग किस्मों को जून-जुलाई से लेकर अक्टूबर-नवंबर या फरवरी-मार्च तक बोया जा सकता है। पपीते की फसल पानी को लेकर बहुत संवेदनशील होती है। बुवाई से लेकर फल आने तक भी इसे उचित मात्रा में पानी चाहिए। पानी की कमी से पौधों और फलों की बढ़त पर असर पड़ता है, जबकि जल की अधिकता होने से पौधा नष्ट हो जाता है। यही कारण है कि इसकी खेती उन्हीं खेतों में की जानी चाहिए जहां पानी एकत्र न होता हो। गर्मी में हर हफ्ते तो ठंड में दो हफ्ते के बीच इनकी सिंचाई की व्यवस्था होनी चाहिए।

पपीते की खेती में उन्नत किस्म की बीजों को अधिकृत जगहों से ही लेना चाहिए। बीजों को अच्छे जुताई किए हुए खेतों में एक सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए। बीजों को नुकसान से बचाने के लिए कीटनाशक-फफूंदनाशक दवाइयों का प्रयोग करना चाहिए। पपीते का पौधा लगाने के लिए 60X60X60 सेंटीमीटर का गड्ढा बनाया जाना चाहिए। इसमें उचित मात्रा में नाइट्रोजन, फोस्फोरस और पोटाश और देशी खादों को डालकर 20 सेंटीमीटर की ऊंचाई का तैयार पौधा इनमें रोपना चाहिए।

पपीते के बेहतर उत्पादन के लिए 22 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर 26 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सबसे उपयुक्त होता है। इसके लिए सामान्य पीएच मान वाली बलुई दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है। पपीते के पौधे में सफेद मक्खी से फैलने वाला वायरस के द्वारा होने वाला पर्ण संकुचन रोग और रिंग स्पॉट रोग लगता है। इससे बचाव के लिए डाइमथोएट (2 मिलीलीटर प्रतिलीटर पानी में) के घोल का छिड़काव करना चाहिए। उचित सलाह के लिए हमेशा कृषि वैज्ञानिकों या कृषि सलाहकार केंद्रो के संपर्क में रहना चाहिए।

किस्में और उत्पादन

पपीता की देशी और विदेशी अनेक किस्में उपलब्ध हैं। देशी किस्मों में राची, बारवानी और मधु बिंदु लोकप्रिय हैं। विदेशी किस्मों में सोलों, सनराइज, सिन्टा और रेड लेडी प्रमुख हैं। रेड लेडी के एक पौधे से 100 किलोग्राम तक पपीता पैदा होता है। पूसा संस्थान द्वारा विकसित की गई पूसा नन्हा पपीते की सबसे बौनी प्रजाति है। यह केवल 30 सेंटीमीटर की ऊंचाई से ही फल देना शुरू कर देता है, जबकि को-7 गायनोडायोसिस प्रजाति का पौधा है जो जमीन से 52.2 सेंटीमीटर की ऊंचाई से फल देता है।

इसके एक पेड़ से 112 से ज्यादा फल प्रतिवर्ष मिलते हैं। इस प्रकार यह 340 टन प्रति हेक्टेयर तक की उपज देता है। अलग-अलग फलों की साइज़ 0.800 किलोग्राम से लेकर दो किलोग्राम तक होता है। आज के बाज़ार में पपीता 30 से 40 रूपये न्यूनतम में बिकता है, लेकिन थोक बाज़ार में आठ से दस रूपये प्रति किलो की दर से बेचने पर भी यह उपज तीन से साढ़े तीन लाख रुपये के बीच होती है। इस तरह सभी खर्चे काटने के बाद भी किसानों को दो लाख रुपये तक की बचत हो जाती है।

अतिरिक्त लाभ

पपीते के दो पौधों के बीच पर्याप्त जगह होती है। इसलिए इनके बीच छोटे आकर के पौधे वाली सब्जियां किसान को अतिरिक्त आय देती हैं। इनके पेड़ों के बीच प्याज, पालक, मेथी, मटर या बीन की खेती की जा सकती है। केवल इन फसलों के माध्यम से भी किसान को अच्छा लाभ हो जाता है। इसे पपीते की खेती के साथ बोनस के रूप में देखा जा सकता है। पपीते की फसल के सावधानी यह रखनी चाहिए कि एक बार फसल लेने के बाद उसी खेत में तीन साल तक पपीते की खेती करने से बचना चाहिए क्योंकि एक ही जगह पर लगातार खेती करने से फलों का आकार छोटा होने लगता हैं।
मोर डेरी फार्म
आवाज एक पहल

29/09/2022

Good Morning 🌾🌾🌾🌾

29/09/2022

Ram Ram🙏🙏🌾🌾🙏🙏

23/09/2022

Farming 🌾🌾Jatta da Karobar 🙏🙏

18/09/2022

Nature view🌾🌾🌾🌾

13/09/2022

Kheti

🌱🌾 🌾

ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ हम अपने शहर में होते तो घर गए होते ।
12/09/2022

ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर गए होते ।

10/09/2022

जाट ज़मीदार🌾🌾🌾🌾🙏🙏🙏🙏

🌱🌾 🌾

10/09/2022

Nature view🌾🌾🌾🌾

10/09/2022

Good Morning 🌾🌾🌾🌾🙏🙏🙏🙏

🌱🌾 🌾

07/09/2022

फिर एक बार 🕊️🕊️उड़ जाईये र कबूतर 2🕊️🕊️🤣🤣😂😂🤣🤣

06/09/2022

उड़ जाइये रै कबूतर उड़ जाइये
लड़कों ने तहलका मचा दिया
🕊️🕊️उड़ जाईये र कबूतर🕊️🕊️🤣🤣

तरा रोज का काम हो गया 😒
04/09/2022

तरा रोज का काम हो गया 😒

03/09/2022

Feel Music

🌱🌾

नेहा कक्कड़ को कोई दिक्कत नहीं है, इसीलिए वो आतिफ असलम के साथ स्टेज शो कर सकती हैं...विराट कोहली को कोई दिक्कत नहीं है, इ...
03/09/2022

नेहा कक्कड़ को कोई दिक्कत नहीं है, इसीलिए वो आतिफ असलम के साथ स्टेज शो कर सकती हैं...

विराट कोहली को कोई दिक्कत नहीं है, इसीलिए वो दुबई में शाहीन अफरीदी से गले मिल के हालचाल ले सकते हैं..

क्रिकेट टीम की कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं है, इसीलिए वो पाकिस्तान से खेल सकती है..

बॉलीवुड की पाकिस्तान से कोई दुश्मनी नहीं है इसीलिए वो वहाँ के आर्टिस्ट्स को काम दे सकते हैं...

मैच पर सट्टा लगाने वालों की भी पाकिस्तान से कोई ख़ास दुश्मनी नहीं है, इसीलिए वो भी लगायेंगे और कमाएंगे..

पर्सनल दुश्मनी तो बस लांसनायक हेमंत, सूबेदार कुलजीत और लेफ्टिनेंट गौरव और इन जैसे लोगों की है, जिनकी भैंस पाकिस्तानी खोल ले गए हैं, इसीलिए वो दुष्कर स्थितियों में बॉर्डर पर पहरा दे रहे हैं और जान देने को तैयार हैं..

तुम लोग ये क्रिकेट, गीत संगीत इंजॉय करो.. तुम्हारी कोई पाकिस्तान से पर्सनल दुश्मनी थोड़ी न है..

जिसकी पर्सनल दुश्मनी है, वो खड़ा है बॉर्डर पे.. और उसके निधन की जब ख़बर आये तो सोशल मीडिया पर 'दिखावे के 2 आँसू' डाल देना... बस हो गया।

फिर वही सर्किल शुरू..

31/08/2022

Good evening 🙏🙏

31/08/2022

Good Morning 🙏

29/08/2022

Jiri ka sprey 🙏🙏


Address

Hansi
125042

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Mor Dairy Farm posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Mor Dairy Farm:

Videos

Share

Category


Other Animal Shelters in Hansi

Show All