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जय गौ माता जय गोपाल
14/03/2023

जय गौ माता जय गोपाल

02/03/2023

जिस चूल्हे की राख से हमारे पूर्वज बर्तन मांजते थे, पहले उनको अवैज्ञानिक कहकर उसका मजाक बनाया गया.
केमिकल वाले डिशवाश के प्रयोग की आदत डाली, जो कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बना।
आज वही चूल्हे की राख अमेज़न जैसी कंपनी 1800 रुपये किलो बेच रही है।

महीने भर पहले गेहूं 3200 रू क्विंटल बिक रहा था जो अब 2000 रू क्विंटल बिक रहा है..! यही हाल प्याज और सरसों का होने वाला ह...
28/02/2023

महीने भर पहले गेहूं 3200 रू क्विंटल बिक रहा था जो अब 2000 रू क्विंटल बिक रहा है..! यही हाल प्याज और सरसों का होने वाला है.! मगर इसके कारण तय होने चाहिए..! ऐसा हमेशा से सत्ता और व्यापारियों की मिलीभगत से होता आया है। किसान को फ़सल का कम मूल्य देना इनका प्रमुख उद्देश्य होता है..! पूर्व में किए गए अंतर्राष्ट्रीय सौदे इसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं..। किसान की फसल के समय बाहर से कृषि उत्पाद आयात करके फसल का मूल्य नीचे कर दिया जाता है ताकि व्यापारी सस्ते में खरीद सके..! किसान का उत्पाद बिकते ही वापस पुराने मूल्य से भी उपर जाकर ठहरती है..!यानी खरीदते वक़्त किसान को लूटते हैं और बेचते वक्त उपभोक्ता को लूटते हैं..! इसीलिए MSP से किनारा करते हैं..!
भारत एक संघीय गणतंत्र है..! यहाँ केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों का बंटवारा..! कृषि एक राज्य का विषय है..! तो MSP पर राज्य अपने स्तर पर भी खरीद कर सकता है..! हर बार केंद्र की बात राज्य क्यों करते हैं..? पंजाब और हरियाणा तो अपने स्तर पर खरीदते हैं तो बाकी राज्य भी अपने स्तर पर खरीद सकते हैं..! लेकिन नहीं खरीदते हैं..!
किसान को केंद्र और राज्य फुटबॉल मानकर खेल रहे हैं..! जबकि राज्य भी MSP पर नीतिगत निर्णय ले सकते हैं..! लेकिन व्यापारियों और कॉर्पोरेट के दबाव के कारण राज्य ऐसा नहीं करते हैं..! जो भी राज्य कृषि पदार्थो को MSP पर खरीद का निर्णय लेगा ..! वह इतिहास में दर्ज होगा..!

विधिः इन सबको खूब मिलाकर 500 ग्राम गाय के दूध की बनी छांछ में डालें तथा 50 ग्राम फिटकरी, 50 ग्राम सौंधा नमक पीस कर डालें...
12/02/2023

विधिः इन सबको खूब मिलाकर 500 ग्राम गाय के दूध की बनी छांछ में डालें तथा 50 ग्राम फिटकरी, 50 ग्राम सौंधा नमक पीस कर डालें। ऊपर से 25 ग्राम साबुत राई डाले। यह घोल तीन दिन तक पिलायें और साथ में हरा चारा भी दें। ऐसा करने से गाय जुगाली करते समय मुहं से पौलिथिन निकालती है।

पशु क्रूरता अधिनियम के तहत सजा सुनाई गई सत्यमेव जय
23/01/2023

पशु क्रूरता अधिनियम के तहत सजा सुनाई गई सत्यमेव जय

जय जय राजस्थान ये दुर्भाग्य है राजस्थान का
23/09/2022

जय जय राजस्थान ये दुर्भाग्य है राजस्थान का

19/09/2022

मिडिया यह बता रहा है कि चीतों ने रातभर आराम से नींद ली कब कितनी पोटी करी
लेकिन यह बताने में मीडिया को शर्म महसूस हुई कि गायों ने दो महिने से नींद नहीं ली

14/09/2022

गौमाता को बचाना है लम्पि वायरस को भगाना है। आओ सब मिलकर हमारी गौमाता को बचाएं।



जा दिन धरा धेनु न होई। रसा रसातल ता छन होई।। भावार्थ- भूकंप गाय की गाथा ही गा रहा है। जब गौ माता को बहुत कष्ट होता है, त...
14/09/2022

जा दिन धरा धेनु न होई। रसा रसातल ता छन होई।। भावार्थ- भूकंप गाय की गाथा ही गा रहा है। जब गौ माता को बहुत कष्ट होता है, तभी पृथ्वी कांपती है।

क्या लिखूं ? नि: शब्दअब तो आंखे खोलो, नेता नेतियो , मां की ममता मां के साथ , क्या बीती होगी उन बच्चो पर जो शाम को कहेंगे...
09/09/2022

क्या लिखूं ? नि: शब्द
अब तो आंखे खोलो, नेता नेतियो , मां की ममता मां के साथ , क्या बीती होगी उन बच्चो पर जो शाम को कहेंगे मां दूध.......😓

लोकदेवता श्री बाबा रामदेव जी के प्राकट्य दिवस (भादवा बीज) के शुभ अवसर पर समस्त श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाए...
29/08/2022

लोकदेवता श्री बाबा रामदेव जी के प्राकट्य दिवस (भादवा बीज) के शुभ अवसर पर समस्त श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। श्री बाबा रामदेव जी आप सभी के जीवन में सुख-समृद्धि बनाएं रखें ऐसी मेरी मंगलकामनाएं हैं।

जय बाबा री..!!🙏🏻🙏🏻

विश्व-भर में कार्बनडाईऑक्साइड, मीथेन, तथा नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों का प्रत्यक्ष एवं परोक्ष उत्सर्जन  पशुओं ...
18/08/2022

विश्व-भर में कार्बनडाईऑक्साइड, मीथेन, तथा नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों का प्रत्यक्ष एवं परोक्ष उत्सर्जन पशुओं से ही होता है. प्रत्यक्ष ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन मुख्यतः पशुओं के रुमेन में किण्वन तथा खाद के गलने-सड़ने द्वारा जबकि अप्रत्यक्ष उत्सर्जन चारे की पैदावार एवं चरागाहों के विकसित होने से होता है. वैश्विक स्तर पर मानव-जनित ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा का लगभग 18% पशुओं के कारण होता है. एक डेयरी गाय से लगभग 650 लीटर प्रतिदिन मीथेन उत्पादन होता है जो इनके आहार में ग्रहण की गई ऊर्जा का लगभग 10% है. यदि ऊर्जा की इस हानि को रोका जाए तो न केवल हमें स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त होगा बल्कि पशुओं की उत्पादन क्षमता में भी सुधार आएगा. पर्यावरण की रक्षा हेतु हमें आतंरिक किण्वन तथा खाद के गलने-सड़ने से होने वाले मीथेन व नाइट्रस ऑक्साइड गैस उत्सर्जन को यथा सम्भव कम करने की आवश्यकता है. कई देशों ने अपनी पशुधन संख्या को सीमित करके मीथेन उत्सर्जन में कमी की है जबकि इनकी प्रति पशु दुग्ध-उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है.

ये शाम ओर ये गांव के काम।ढलता सूरज ओर गायों के श्याम।यही वो शाम है साहब जिस शाम के लिए दुनिया तरसती है।बाकी शहरों के पार...
01/08/2022

ये शाम ओर ये गांव के काम।
ढलता सूरज ओर गायों के श्याम।

यही वो शाम है साहब जिस शाम के लिए दुनिया तरसती है।

बाकी शहरों के पार्कों की दिवारों पर बैठकर अक्सर दिलजले आंसू बहाया करते हैं। .AnimalHelper

महिनो तपा हूं इस मरूधर की रेत मेंअब हरियाली देख रहा हूं जब आसक्ति नहीं है खाने की पेट में।जैसे तुम सब तप रहे हो अपनो‌ के...
01/08/2022

महिनो तपा हूं इस मरूधर की रेत में
अब हरियाली देख रहा हूं जब
आसक्ति नहीं है खाने की पेट में।
जैसे तुम सब तप रहे हो अपनो‌ के‌ हेत में
झाळी तार ताण रहे हो खेत में।
सुनहरी शाम जब तुम्हारी भी आयेगी
पश्चाताप करने को‌ भी टांगे लड़खड़ायेगी।।

सच कह रहा है ये थका हारा ऊंट।सालभर रूखी सुखी खाकर जिंदा रह लिया लेकिन अब जब खूब घास लहराई है तो ये ढोळे बैठ चुका है।उठकर खाने की इच्छा है तब भी नहीं खा सकता ।ठीक वैसे ही हम सब रूखा सूखा खाकर कमा रहे हैं।ओर ठीक ठाक कमा लेंगे तब तक ये उम्र ढल जायेगी।सारी धनदौलत यही धरी रह जाएगी।जैसे ये ऊंट इतनी हरियाली छोडकर जा रहा है।

जानवर भी अपने परिवारों से वैसे ही प्यार करते हैं जैसे हम करते हैं। सभी जानवर संवेदनशील प्राणी हैं जो क्रूर व्यवहार करने ...
01/08/2022

जानवर भी अपने परिवारों से वैसे ही प्यार करते हैं जैसे हम करते हैं। सभी जानवर संवेदनशील प्राणी हैं जो क्रूर व्यवहार करने पर दर्द महसूस करते हैं और पीड़ित होते हैं। अपनों से बिछड़ने पर वे शोक मनाते हैं। पशु उत्पादों के हमारे लालच के कारण वे अपने परिवारों से बिछड़ जाते हैं और कभी भी अपना प्राकृतिक जीवन नहीं जी पाते हैं।
हम केवल दूध और डेयरी उत्पादों को ना कहकर गायों और बछड़ों को इस दर्द से बचा सकते हैं। डेयरी उद्योग में बछड़ों को उनकी मां से अलग किया जाता है ताकि दूध हमें बेचा जा सके। उन्हें अपनी मां के साथ बंधन की अनुमति नहीं है। नर बछड़ों को उनके माँस एवं चमड़े के लिए मार दिया जाता है, जबकि मादा बछड़ों को क्रूरता के उसी चक्र में धकेल दिया जाता है और उनकी माँ की तरह ही उन्हें भी दूध की मशीन में बदल दिया जाता है।
अंडा उद्योग में, अंडे हैचरी में सेये जाते हैं। मुर्गियाँ अपने चूज़ों के साथ कभी नहीं रहतीं। नर चूज़े किसी काम के नहीं होते, उनका दम घोंट दिया जाता है, डुबो दिए जाते हैं, दफन कर दिए जाते हैं या ज़िंदा ज़मीन पर गिरा दिए जाते हैं। मादा चूज़ों को क़ैद दुर्व्यवहार और दुःख के चक्र में रहने को मजबूर किया जाता है। वे यह सारी पीड़ा सिर्फ हमारी वजह से झेलते हैं।
पशु मानव शोषण से मुक्त होकर अपना जीवन जीने के योग्य हैं। आइए सभी जीवित प्राणियों को गले लगाने के लिए करुणा के अपने दायरे का विस्तार करें। आइए वीगन (निरवद्य) होकर सभी प्रजातियों के परिवारों का सम्मान करें और उनकी रक्षा करें।

.Animal helper
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दुर्घटना में इनका एक पैर टूट गया। घिसलन में सारी देह छील गई। लेकिन इन्होने किसी भी अवस्था में बच्चे को दुग्धपान से मना न...
27/07/2022

दुर्घटना में इनका एक पैर टूट गया। घिसलन में सारी देह छील गई। लेकिन इन्होने किसी भी अवस्था में बच्चे को दुग्धपान से मना नहीं किया। इसीलिए तो कहा गया है, माँ से बड़ा देवता दूसरा कोई नहीं।
जय जय भोले
Mr.Animal Helpe

पशु सम्मान और करुणा के साथ व्यवहार करने के पात्र हैं, और उन्हें मानव शोषण से मुक्त रहकर जीने का अधिकार है। फिर भी हर साल...
27/07/2022

पशु सम्मान और करुणा के साथ व्यवहार करने के पात्र हैं, और उन्हें मानव शोषण से मुक्त रहकर जीने का अधिकार है। फिर भी हर साल अरबों जानवर भयानक क्रूरता और बर्बर प्रथाओं के शिकार होते हैं। हमने उनके जीवन को नर्क बना दिया है। पशु हमारे भोजन, वस्त्र, मनोरंजन या प्रयोग के लिए उपयोग करने के लिए नहीं हैं। वे संवेदनशील प्राणी हैं जो हमारी तरह ही दर्द महसूस करते हैं और पीड़ित होते हैं। हमारी गलत धारणा है कि हम श्रेष्ठ हैं और इसलिए हमें अपनी जरूरतों के लिए जानवरों का शोषण करने का अधिकार है। हमारी पुरानी मान्यताओं ने जानवरों को हमारे उपयोग के लिए वस्तुओं से ज़्यादा कुछ और नहीं देखा है। हमें इस प्रजातिवादी मानसिकता को दूर करने और सभी प्रजातियों के साथ समान व्यवहार करने की आवश्यकता है। हमारे सभी भोजन और जीवन शैली विकल्प शक्तिशाली विकल्प हैं जिनका जानवरों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हम वही हैं जो क्रूरता का समर्थन करने या करुणा से जीने के बीच निर्णय ले रहे हैं। आइए दयालु और ज़िम्मेदार विकल्प चुनें, और उन जीवों की रक्षा करें जिनके साथ हम इस ग्रह को साझा करते हैपशु सम्मान और करुणा के साथ व्यवहार करने के पात्र हैं, और उन्हें मानव शोषण से मुक्त रहकर जीने का अधिकार है। फिर भी हर साल अरबों जानवर भयानक क्रूरता और बर्बर प्रथाओं के शिकार होते हैं। हमने उनके जीवन को नर्क बना दिया है। पशु हमारे भोजन, वस्त्र, मनोरंजन या प्रयोग के लिए उपयोग करने के लिए नहीं हैं। वे संवेदनशील प्राणी हैं जो हमारी तरह ही दर्द महसूस करते हैं और पीड़ित होते हैं। हमारी गलत धारणा है कि हम श्रेष्ठ हैं और इसलिए हमें अपनी जरूरतों के लिए जानवरों का शोषण करने का अधिकार है। हमारी पुरानी मान्यताओं ने जानवरों को हमारे उपयोग के लिए वस्तुओं से ज़्यादा कुछ और नहीं देखा है। हमें इस प्रजातिवादी मानसिकता को दूर करने और सभी प्रजातियों के साथ समान व्यवहार करने की आवश्यकता है। हमारे सभी भोजन और जीवन शैली विकल्प शक्तिशाली विकल्प हैं जिनका जानवरों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हम वही हैं जो क्रूरता का समर्थन करने या करुणा से जीने के बीच निर्णय ले रहे हैं। आइए दयालु और ज़िम्मेदार विकल्प चुनें, और उन जीवों की रक्षा करें जिनके साथ हम इस ग्रह को साझा करते हैं।

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उरुग्वे एक ऐसा देश है, जिसमे औसतन हर एक आदमी के पास 4 गायें हैं और पूरे विश्व में वो खेती के मामले में नम्बर वन की पोजीश...
26/07/2022

उरुग्वे एक ऐसा देश है, जिसमे औसतन हर एक आदमी के पास 4 गायें हैं और पूरे विश्व में वो खेती के मामले में नम्बर वन की पोजीशन में है! सिर्फ 33 लाख लोगों का देश है और 1 करोड़ 20 लाख 🐄 गायें है!

हर एक गाय के कान पर इलेक्ट्रॉनिक चिप लगा रखी है! जिससे कौन सी गाय कहाँ पर है, वो देखते रहते हैं! एक किसान मशीन के अन्दर बैठा फसल कटाई कर रहा है, तो दूसरा उसे स्क्रीन पर जोड़ता है कि फसल का डाटा क्या है..??

इकठ्ठा किये हुये डाटा के जरिए, किसान प्रति वर्ग मीटर की पैदावार का स्वयं विश्लेषण करता हैं! 2005 में 33 लाख लोगों का देश, 90 लाख लोगों के लिए अनाज पैदा करता था और आज की तारीख में 2 करोड़ 80 लाख लोगों के लिये अनाज पैदा करता है!

उरुग्वे के सफल प्रदर्शन के पीछे देश, किसानों और पशुपालकों का दशकों का अध्ययन शामिल है! पूरी खेती को देखने के लिए 500 कृषि इंजीनियर लगाए गए हैं और ये लोग ड्रोन और सैटेलाइट से किसानों पर नजर रखते हैं, कि खेती का वही तरीका अपनाएँ जो निर्धारित है, यानि दूध, दही, घी औऱ मक्खन के साथ आबादी से कई गुना ज्यादा अनाज उत्पादन!

सब अनाज, दूध, दही, घी औऱ मक्खन आराम से निर्यात होते हैं और हर किसान लाखों में कमाता है! एक आदमी की कम से कम आय 1,25,000/= महीने की है, यानि 1,90,000 डॉलर सालाना!

इस देश का राष्ट्रीय चिन्ह सूर्य 🌞 व राष्ट्रीय प्रगति चिन्ह गाय 🐄 व घोड़ा 🐎 हैं! उरूग्वे में गाय 🐄 की हत्या पर तत्काल फाँसी का कानून है! धन्यवाद है, इस गौ-प्रेमी देश को!

मुख्य बात यह है कि ये सभी गो-धन भारतीय हैं! जिसे वहाँ इण्डियन काउ के तौर पर जानते हैं! दु:ख इस बात का है कि भारत में गौ-हत्या होती है और वहाँ उरुग्वे में गौ-हत्या पर मृत्युदण्ड का प्रावधान है!🚩

क्या हम इस कृषक राष्ट्र उरुग्वे से कुछ सीख सकते हैं...??

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