14/03/2023
जय गौ माता जय गोपाल
This channel has been created to help the animals and there will always be animals related videos on this channel.
जय गौ माता जय गोपाल
जिस चूल्हे की राख से हमारे पूर्वज बर्तन मांजते थे, पहले उनको अवैज्ञानिक कहकर उसका मजाक बनाया गया.
केमिकल वाले डिशवाश के प्रयोग की आदत डाली, जो कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बना।
आज वही चूल्हे की राख अमेज़न जैसी कंपनी 1800 रुपये किलो बेच रही है।
महीने भर पहले गेहूं 3200 रू क्विंटल बिक रहा था जो अब 2000 रू क्विंटल बिक रहा है..! यही हाल प्याज और सरसों का होने वाला है.! मगर इसके कारण तय होने चाहिए..! ऐसा हमेशा से सत्ता और व्यापारियों की मिलीभगत से होता आया है। किसान को फ़सल का कम मूल्य देना इनका प्रमुख उद्देश्य होता है..! पूर्व में किए गए अंतर्राष्ट्रीय सौदे इसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं..। किसान की फसल के समय बाहर से कृषि उत्पाद आयात करके फसल का मूल्य नीचे कर दिया जाता है ताकि व्यापारी सस्ते में खरीद सके..! किसान का उत्पाद बिकते ही वापस पुराने मूल्य से भी उपर जाकर ठहरती है..!यानी खरीदते वक़्त किसान को लूटते हैं और बेचते वक्त उपभोक्ता को लूटते हैं..! इसीलिए MSP से किनारा करते हैं..!
भारत एक संघीय गणतंत्र है..! यहाँ केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों का बंटवारा..! कृषि एक राज्य का विषय है..! तो MSP पर राज्य अपने स्तर पर भी खरीद कर सकता है..! हर बार केंद्र की बात राज्य क्यों करते हैं..? पंजाब और हरियाणा तो अपने स्तर पर खरीदते हैं तो बाकी राज्य भी अपने स्तर पर खरीद सकते हैं..! लेकिन नहीं खरीदते हैं..!
किसान को केंद्र और राज्य फुटबॉल मानकर खेल रहे हैं..! जबकि राज्य भी MSP पर नीतिगत निर्णय ले सकते हैं..! लेकिन व्यापारियों और कॉर्पोरेट के दबाव के कारण राज्य ऐसा नहीं करते हैं..! जो भी राज्य कृषि पदार्थो को MSP पर खरीद का निर्णय लेगा ..! वह इतिहास में दर्ज होगा..!
विधिः इन सबको खूब मिलाकर 500 ग्राम गाय के दूध की बनी छांछ में डालें तथा 50 ग्राम फिटकरी, 50 ग्राम सौंधा नमक पीस कर डालें। ऊपर से 25 ग्राम साबुत राई डाले। यह घोल तीन दिन तक पिलायें और साथ में हरा चारा भी दें। ऐसा करने से गाय जुगाली करते समय मुहं से पौलिथिन निकालती है।
पशु क्रूरता अधिनियम के तहत सजा सुनाई गई सत्यमेव जय
जय जय राजस्थान ये दुर्भाग्य है राजस्थान का
मिडिया यह बता रहा है कि चीतों ने रातभर आराम से नींद ली कब कितनी पोटी करी
लेकिन यह बताने में मीडिया को शर्म महसूस हुई कि गायों ने दो महिने से नींद नहीं ली
गौमाता को बचाना है लम्पि वायरस को भगाना है। आओ सब मिलकर हमारी गौमाता को बचाएं।
जा दिन धरा धेनु न होई। रसा रसातल ता छन होई।। भावार्थ- भूकंप गाय की गाथा ही गा रहा है। जब गौ माता को बहुत कष्ट होता है, तभी पृथ्वी कांपती है।
क्या लिखूं ? नि: शब्द
अब तो आंखे खोलो, नेता नेतियो , मां की ममता मां के साथ , क्या बीती होगी उन बच्चो पर जो शाम को कहेंगे मां दूध.......😓
लोकदेवता श्री बाबा रामदेव जी के प्राकट्य दिवस (भादवा बीज) के शुभ अवसर पर समस्त श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। श्री बाबा रामदेव जी आप सभी के जीवन में सुख-समृद्धि बनाएं रखें ऐसी मेरी मंगलकामनाएं हैं।
जय बाबा री..!!🙏🏻🙏🏻
विश्व-भर में कार्बनडाईऑक्साइड, मीथेन, तथा नाइट्रस ऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों का प्रत्यक्ष एवं परोक्ष उत्सर्जन पशुओं से ही होता है. प्रत्यक्ष ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन मुख्यतः पशुओं के रुमेन में किण्वन तथा खाद के गलने-सड़ने द्वारा जबकि अप्रत्यक्ष उत्सर्जन चारे की पैदावार एवं चरागाहों के विकसित होने से होता है. वैश्विक स्तर पर मानव-जनित ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा का लगभग 18% पशुओं के कारण होता है. एक डेयरी गाय से लगभग 650 लीटर प्रतिदिन मीथेन उत्पादन होता है जो इनके आहार में ग्रहण की गई ऊर्जा का लगभग 10% है. यदि ऊर्जा की इस हानि को रोका जाए तो न केवल हमें स्वच्छ पर्यावरण प्राप्त होगा बल्कि पशुओं की उत्पादन क्षमता में भी सुधार आएगा. पर्यावरण की रक्षा हेतु हमें आतंरिक किण्वन तथा खाद के गलने-सड़ने से होने वाले मीथेन व नाइट्रस ऑक्साइड गैस उत्सर्जन को यथा सम्भव कम करने की आवश्यकता है. कई देशों ने अपनी पशुधन संख्या को सीमित करके मीथेन उत्सर्जन में कमी की है जबकि इनकी प्रति पशु दुग्ध-उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है.
ये शाम ओर ये गांव के काम।
ढलता सूरज ओर गायों के श्याम।
यही वो शाम है साहब जिस शाम के लिए दुनिया तरसती है।
बाकी शहरों के पार्कों की दिवारों पर बैठकर अक्सर दिलजले आंसू बहाया करते हैं। .AnimalHelper
महिनो तपा हूं इस मरूधर की रेत में
अब हरियाली देख रहा हूं जब
आसक्ति नहीं है खाने की पेट में।
जैसे तुम सब तप रहे हो अपनो के हेत में
झाळी तार ताण रहे हो खेत में।
सुनहरी शाम जब तुम्हारी भी आयेगी
पश्चाताप करने को भी टांगे लड़खड़ायेगी।।
सच कह रहा है ये थका हारा ऊंट।सालभर रूखी सुखी खाकर जिंदा रह लिया लेकिन अब जब खूब घास लहराई है तो ये ढोळे बैठ चुका है।उठकर खाने की इच्छा है तब भी नहीं खा सकता ।ठीक वैसे ही हम सब रूखा सूखा खाकर कमा रहे हैं।ओर ठीक ठाक कमा लेंगे तब तक ये उम्र ढल जायेगी।सारी धनदौलत यही धरी रह जाएगी।जैसे ये ऊंट इतनी हरियाली छोडकर जा रहा है।
जानवर भी अपने परिवारों से वैसे ही प्यार करते हैं जैसे हम करते हैं। सभी जानवर संवेदनशील प्राणी हैं जो क्रूर व्यवहार करने पर दर्द महसूस करते हैं और पीड़ित होते हैं। अपनों से बिछड़ने पर वे शोक मनाते हैं। पशु उत्पादों के हमारे लालच के कारण वे अपने परिवारों से बिछड़ जाते हैं और कभी भी अपना प्राकृतिक जीवन नहीं जी पाते हैं।
हम केवल दूध और डेयरी उत्पादों को ना कहकर गायों और बछड़ों को इस दर्द से बचा सकते हैं। डेयरी उद्योग में बछड़ों को उनकी मां से अलग किया जाता है ताकि दूध हमें बेचा जा सके। उन्हें अपनी मां के साथ बंधन की अनुमति नहीं है। नर बछड़ों को उनके माँस एवं चमड़े के लिए मार दिया जाता है, जबकि मादा बछड़ों को क्रूरता के उसी चक्र में धकेल दिया जाता है और उनकी माँ की तरह ही उन्हें भी दूध की मशीन में बदल दिया जाता है।
अंडा उद्योग में, अंडे हैचरी में सेये जाते हैं। मुर्गियाँ अपने चूज़ों के साथ कभी नहीं रहतीं। नर चूज़े किसी काम के नहीं होते, उनका दम घोंट दिया जाता है, डुबो दिए जाते हैं, दफन कर दिए जाते हैं या ज़िंदा ज़मीन पर गिरा दिए जाते हैं। मादा चूज़ों को क़ैद दुर्व्यवहार और दुःख के चक्र में रहने को मजबूर किया जाता है। वे यह सारी पीड़ा सिर्फ हमारी वजह से झेलते हैं।
पशु मानव शोषण से मुक्त होकर अपना जीवन जीने के योग्य हैं। आइए सभी जीवित प्राणियों को गले लगाने के लिए करुणा के अपने दायरे का विस्तार करें। आइए वीगन (निरवद्य) होकर सभी प्रजातियों के परिवारों का सम्मान करें और उनकी रक्षा करें।
.Animal helper
rescue
दुर्घटना में इनका एक पैर टूट गया। घिसलन में सारी देह छील गई। लेकिन इन्होने किसी भी अवस्था में बच्चे को दुग्धपान से मना नहीं किया। इसीलिए तो कहा गया है, माँ से बड़ा देवता दूसरा कोई नहीं।
जय जय भोले
Mr.Animal Helpe
पशु सम्मान और करुणा के साथ व्यवहार करने के पात्र हैं, और उन्हें मानव शोषण से मुक्त रहकर जीने का अधिकार है। फिर भी हर साल अरबों जानवर भयानक क्रूरता और बर्बर प्रथाओं के शिकार होते हैं। हमने उनके जीवन को नर्क बना दिया है। पशु हमारे भोजन, वस्त्र, मनोरंजन या प्रयोग के लिए उपयोग करने के लिए नहीं हैं। वे संवेदनशील प्राणी हैं जो हमारी तरह ही दर्द महसूस करते हैं और पीड़ित होते हैं। हमारी गलत धारणा है कि हम श्रेष्ठ हैं और इसलिए हमें अपनी जरूरतों के लिए जानवरों का शोषण करने का अधिकार है। हमारी पुरानी मान्यताओं ने जानवरों को हमारे उपयोग के लिए वस्तुओं से ज़्यादा कुछ और नहीं देखा है। हमें इस प्रजातिवादी मानसिकता को दूर करने और सभी प्रजातियों के साथ समान व्यवहार करने की आवश्यकता है। हमारे सभी भोजन और जीवन शैली विकल्प शक्तिशाली विकल्प हैं जिनका जानवरों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हम वही हैं जो क्रूरता का समर्थन करने या करुणा से जीने के बीच निर्णय ले रहे हैं। आइए दयालु और ज़िम्मेदार विकल्प चुनें, और उन जीवों की रक्षा करें जिनके साथ हम इस ग्रह को साझा करते हैपशु सम्मान और करुणा के साथ व्यवहार करने के पात्र हैं, और उन्हें मानव शोषण से मुक्त रहकर जीने का अधिकार है। फिर भी हर साल अरबों जानवर भयानक क्रूरता और बर्बर प्रथाओं के शिकार होते हैं। हमने उनके जीवन को नर्क बना दिया है। पशु हमारे भोजन, वस्त्र, मनोरंजन या प्रयोग के लिए उपयोग करने के लिए नहीं हैं। वे संवेदनशील प्राणी हैं जो हमारी तरह ही दर्द महसूस करते हैं और पीड़ित होते हैं। हमारी गलत धारणा है कि हम श्रेष्ठ हैं और इसलिए हमें अपनी जरूरतों के लिए जानवरों का शोषण करने का अधिकार है। हमारी पुरानी मान्यताओं ने जानवरों को हमारे उपयोग के लिए वस्तुओं से ज़्यादा कुछ और नहीं देखा है। हमें इस प्रजातिवादी मानसिकता को दूर करने और सभी प्रजातियों के साथ समान व्यवहार करने की आवश्यकता है। हमारे सभी भोजन और जीवन शैली विकल्प शक्तिशाली विकल्प हैं जिनका जानवरों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हम वही हैं जो क्रूरता का समर्थन करने या करुणा से जीने के बीच निर्णय ले रहे हैं। आइए दयालु और ज़िम्मेदार विकल्प चुनें, और उन जीवों की रक्षा करें जिनके साथ हम इस ग्रह को साझा करते हैं।
.Animal helpr
उरुग्वे एक ऐसा देश है, जिसमे औसतन हर एक आदमी के पास 4 गायें हैं और पूरे विश्व में वो खेती के मामले में नम्बर वन की पोजीशन में है! सिर्फ 33 लाख लोगों का देश है और 1 करोड़ 20 लाख 🐄 गायें है!
हर एक गाय के कान पर इलेक्ट्रॉनिक चिप लगा रखी है! जिससे कौन सी गाय कहाँ पर है, वो देखते रहते हैं! एक किसान मशीन के अन्दर बैठा फसल कटाई कर रहा है, तो दूसरा उसे स्क्रीन पर जोड़ता है कि फसल का डाटा क्या है..??
इकठ्ठा किये हुये डाटा के जरिए, किसान प्रति वर्ग मीटर की पैदावार का स्वयं विश्लेषण करता हैं! 2005 में 33 लाख लोगों का देश, 90 लाख लोगों के लिए अनाज पैदा करता था और आज की तारीख में 2 करोड़ 80 लाख लोगों के लिये अनाज पैदा करता है!
उरुग्वे के सफल प्रदर्शन के पीछे देश, किसानों और पशुपालकों का दशकों का अध्ययन शामिल है! पूरी खेती को देखने के लिए 500 कृषि इंजीनियर लगाए गए हैं और ये लोग ड्रोन और सैटेलाइट से किसानों पर नजर रखते हैं, कि खेती का वही तरीका अपनाएँ जो निर्धारित है, यानि दूध, दही, घी औऱ मक्खन के साथ आबादी से कई गुना ज्यादा अनाज उत्पादन!
सब अनाज, दूध, दही, घी औऱ मक्खन आराम से निर्यात होते हैं और हर किसान लाखों में कमाता है! एक आदमी की कम से कम आय 1,25,000/= महीने की है, यानि 1,90,000 डॉलर सालाना!
इस देश का राष्ट्रीय चिन्ह सूर्य 🌞 व राष्ट्रीय प्रगति चिन्ह गाय 🐄 व घोड़ा 🐎 हैं! उरूग्वे में गाय 🐄 की हत्या पर तत्काल फाँसी का कानून है! धन्यवाद है, इस गौ-प्रेमी देश को!
मुख्य बात यह है कि ये सभी गो-धन भारतीय हैं! जिसे वहाँ इण्डियन काउ के तौर पर जानते हैं! दु:ख इस बात का है कि भारत में गौ-हत्या होती है और वहाँ उरुग्वे में गौ-हत्या पर मृत्युदण्ड का प्रावधान है!🚩
क्या हम इस कृषक राष्ट्र उरुग्वे से कुछ सीख सकते हैं...??
Jaipur
302001
Be the first to know and let us send you an email when Mr.Animal Helper posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.
Send a message to Mr.Animal Helper:
उम्र को देखकर तकलीफ का अंदाजा ना लगाइए साहब किसी की मदद के लिए बढ़ाया गया हाथ , प्रार्थना के लिए उठाये गए हाथों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण होता है ...सहायता के लिए उठाया गया आपका एक कदम... किसी को नया जीवनदान दे सकता है ...😥
गौमाता को बचाना है लम्पि वायरस को भगाना है। आओ सब मिलकर हमारी गौमाता को बचाएं। #mranimalhelper #saveanimal #lampivairush #SaveCowSaveVillages
गौमाता को बचाना है लम्पि वायरस को भगाना है। आओ सब मिलकर हमारी गौमाता को बचाएं। #mranimalhelper #saveanimal #lampivairush #savecows
कितने मासूम है यह मुझे बोलकर बताने की जरूरत नहीं है और कितनी पीड़ा में है यह भी बताने की जरूरत नहीं आप अपने आप समझे और इनकी मदद करें #mranimalhelper #savestreetdogs #savestrayanimals
Please help ,, jitna ho sake jada tika lagane ka prayash kare 100 rupe ka kharch kuch to bachav hoga😢 #lampivirus
आजकल देशी गायों में गीर गाय की नस्ल बहुत चर्चा में है। ये गाय दूध भी खूब देती है और रोगों के प्रति अधिकतम प्रतिरोध क्षमता प्रदर्शित करती है। यदि इस नस्ल में समेकित रूप से चयनित प्रजनन कराया जाए तो इससे दूध उत्पादन में काफी वृद्धि सम्भव हो सकती है।#bhartiya Gir
आजकल दूध को उपभोक्ताओं की आवश्यकतानुसार पोषण तथा आनुवंशिक विधियों द्वारा परिवर्तित करना संभव हो गया है ताकि यह उनकी विशेष आवश्यकताओं के अनुरूप हो. डिज़ाइनर दूध को समृद्ध दूध भी कहते हैं क्योंकि इसमें विशेष औषिधीय एवं मानव स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं. इससे उपभोक्ताओं को इसके प्रसंस्करण एवं स्वास्थ्यवर्धक होने का दोहरा लाभ प्राप्त होता है. प्रतिदिन बदलती हुई उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं ने ‘डिज़ाइनर’ दूध की प्रासंगिकता को और भी अधिक आवश्यक बना दिया है क्योंकि दूध एवं इसके उत्पादों का सेवन विश्वभर के नवजात शिशुओं, बच्चों, वयस्कों एवं वृद्धजनों द्वारा बहुतायत में किया जाता है. अभी तक डेयरी व्यवसाय में दूध उत्पादन बढ़ाने पर ही जोर दिया जाता रहा है जबकि आजकल डिज़ाइनर दूध के उत्पादन पर भी डेयरियों का ध्यान आकर्षित होने लगा है. इस दूध में असंतृप्त वसीय अम्ल अपेक्षा
Shree Shyam Goraksha Dal Bhojlawa Chomu
Bhojlawa RoadTropical bovine genetics distributor
Pink City