ये छोरे हरियाणे के चौकीदार

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ये छोरे हरियाणे के चौकीदार NIKE के पजामे और
छोरियाँ के डरामें,,,
सालो जिस दिन अपनी किस्मत का सिक्का उछलेगा ..
उस दिन हेड भी अपना और टेल भी अपना. Page helpline No. +91 9050374836

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26/08/2023

क्या नील आर्मस्ट्रांग सचमुच चांद पर गए थे या ये अमेरिका का फैलाया हुआ एक सफेद झूठ है। एक वैश्विक फेक प्रोपेगंडा है। सोचिए जरा..!!

🤔🤔🤔
जिस चांद पर एक छोटी कार के आकार का विक्रम लैंडर जैसा कुछ उतारने में आज भारत सफल हो गया। उस चांद पर अनेक देश 2023 तक भी सफल नहीं हो पाए, यह कटु सत्य है न।

अभी हाल में रूस जैसा देश भी अपना लैंडर उतार नहीं पाया
चार दिन पहले उसका लैंडर क्रैश कर गया, ये भी सभी ने देखा।

फिर कैसे विश्वास कर लें कि उस चांद पर 1969 में ही अमेरिका ने तीन तीन अंतरिक्ष यात्री भेज दिए थे?

😊😊😊😊
क्या ये झूठ नहीं लगता कि नील आर्मस्ट्रांग और उनके दो साथी भारी भरकम यान लेकर चांद पर उतरे भी .. उधर घूमे फिरे भी और फोटो सोटो खिंचवा के वापस जिंदा धरती पर आ भी गए.. और जब उनके पास टेक्नोलॉजी है ही तो नील आर्मस्ट्रांग के बाद कोई और क्यों नहीं गया?

☺️☺️☺️
इन अमेरिकियों से पूछो, चलो मान लिया तुम्हारे चांद पर खींचे हुए ये फोटो असली हैं, किसी हॉलीवुड के स्टूडियों में नहीं खींचे गए हैं, तुम चांद पर गए होगे पर मियाँ ये तो बताओ वहाँ से वापस लौटे कैसे?

लौटा कर लाने वाला रॉकेट चांद की सतह पर कब खड़ा किया था। भेजने के लिए रॉकेट चाहिए तो लाने के लिए चांद पर भी रॉकेट स्टेशन नहीं होना चाहिए था?

अपोलो में बैठे अंतरिक्ष यात्रियों को किस रॉकेट बूस्टर से चांद के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकाला था?

धरती से सैकड़ों टन का रॉकेट बहुत तेज गति से जिसे इस्केप वेलोसिटी कहते हैं उससे ऊपर भेजना पड़ता है तब वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में जा पाता है

तुम अमेरिकियों ने नील आर्मस्ट्रांग को चांद पर उतारा होगा तो उनको वापस लाने के लिए किस रॉकेट का उपयोग किया था, नाम तो संसार को बता दो।

ज़ब चाँद पर कोई वातावरण नहीं हैं हवा नहीं हैं तो झंडा फहरा कैसे? वो तो छड़ी के साथ लटका हुआ होना चाहिए था

सच तो यह है कि चाँद पर आज तक कोई मनुष्य नहीं पहुंचा है, और कोई लैंडर कोई रोवर दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा है तो वह भारत का ही है जो 23 अगस्त 2023 को पहुंचा है।

02/08/2023

पिछले 40-50 सालों में मर्दों की मर्दानगी 80% तक कम हो चुकी है। अब कुछ लोंगो को मर्दानगी का सिर्फ़ एक ही मतलब पता है, ख़ैर वो उनकी सोच है ।
ब्रह्मचर्य यूथ
मर्दानगी का मतलब है पुरुषार्थ से, क्या हम एक पुरुष होने का पूरा हक़ अदा कर रहे हैं,
आज कल ज़्यादातर कमज़ोर मर्दों में कोई युद्ध की सोच नहीं, न जीत की, न ज़िम्मेदारी की, न भरोसा, न साथ , न प्यार, न परिवार, सब कुछ एकदम शून्य हो चुका है, उनके अंदर का पुरुष मर चुका है।
कुछ पुरुष महिलाओं की खूबसूरती के ग़ुलाम हैं, कुछ नशे के, कुछ मोटी थोन्द वाले खाने के,कुछ महिलाओं से भी ज़्यादा महिला बन चुके हैं।
बात आती है कि आज के मकड़जाल वाले समय में भी मर्दाना कैसे बना जाए-
उसके लिए अच्छी किताबें पढ़ो, वर्कआउट करो, पोर्न वीडियो मत देखो, कम से कम 8 घण्टे सोना, लड़कियों का पीछा छोड़ना, खुदपर काम करना, नेगेटिविटी से दूर रहना और सबसे जरूरी अपना मक़सद हमेशा याद रखें।
कठिनाई और संघर्ष का अनुभव करने से पुरुष ज़्यादा सुंदर हो जाते हैं।

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कोई भी गंभीर बीमारी के आयुर्वेदिक देसी रामबाण उपचार और अपने ऊपर किए गए अनुभव, आज हम व्हाट्सएप के लिए एक ग्रुप बना रहे है...
30/04/2023

कोई भी गंभीर बीमारी के आयुर्वेदिक देसी रामबाण उपचार और अपने ऊपर किए गए अनुभव, आज हम व्हाट्सएप के लिए एक ग्रुप बना रहे हैं, जिस किसी भाई बहन ने जुडना हो किरप्या लिंक से कनेक्ट हो जाओhttps://chat.whatsapp.com/Buia8AghqSDGFRSwy9K9V3

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28/03/2023

व्यवसायिक कार्य से लगभग हर रोज दिल्ली जाना होता है। वापसी पर मुरथल के एक ढाबे पर रात्रिभोज हेतु रुकता हूं।
खाने का मेन्यू सेट है।
हाफ दाल
3 रोटी
1 प्लेट सलाद
2 कटोरी सफेद मक्खन.......और आखिर में खीर।

लगभग हर रोज एक व्यक्ति मेरी टेबल पर आता है।
मैं उसे वही मेन्यू बताता हूं।......बीते कुछ दिनों से वह मुझसे पूछने की जहमत भी नहीं करता।

मैं बैठता हूं .......सलाद परोस देता है और फिर एक एक कर बाकी सामग्री ले आता है।

कल रात मैं ढाबे पर आ कर बैठा।
चिरपरिचित बंधु जो हर रोज ऑर्डर लेता था वह कहीं दिखाई ना दिया।

मेरी नजरें उसे तालाश रही थी। इतने में एक नौजवान लड़का टेबल पर आया और बोला " भोला भईया नहीं आए हैं सर। उनका तबियत खराब था।"

मुझे नहीं पता था की जिस व्यक्ति को मैं रोज खाने का ऑर्डर देता हूं उसका नाम "भोला" है।

"आपका क्या नाम है ? " मैंने सामने खड़े नवयुवक से पूछा।

"हमारा नाम आकास है।" उसने फट से जवाब दिया।

मुरथल के ढाबों पर अधिकतर कर्मचारी बिहारी हैं।
नवयुवक का आका"श" को आका"स" कहना मुझे खला नहीं।
लड़का टिप टॉप था। सधी हुई कद काठी। तेल से चुपड़े कंघी किए हुए बाल।

सबसे बड़ी बात उसके जूते चमक रहे थे। लग रहा था की पालिश किए गए हैं।

मैंने अपना मैन्यू बताने की शुरुआत की ही थी की उसने मेरी बात काटते हुए कहा......पता है सर। हरा सलाद.... दाल .....मक्खन ....रोटी....खीर।
मैंने उसकी ओर देखा.....मुस्कुराया .....और कहा....." पता है तो ले आईए। भूख के मारे जान निकल रही है।"
वह किचन की ओर चला गया।

कुछ ही समय बाद वापिस आया।
बोला ....." सर। डोंट माइंड। एक बैटर ऑप्शन है।"

मैं एक क्षण ....... अवाक रह गया।

डोंट माइंड .......बैटर ऑप्शन......मेरे समाने ढाबे का एक वेटर खड़ा था या किसी मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट से एम बी ए मेनेजर खड़ा था।
शक्ल देख कर तो लग ना रहा था की ऊन्ने अंग्रेजी का ए भी आता होगा।

मैं हतप्रभ था।

" क्या बैटर ऑप्शन है सर।" मैंने व्यंगतामक लहजे में पूछा।

लडके ने मेन्यू कार्ड उठाया। बोला ......." आप वेज थाली लीजिए सर। इसमें दाल है। दो सब्जी है। पुलाव है। सलाद है अउर मीठा मैं खीर भी है .......और सर ......ये थाली आपको आपका मेन्यू के मुकाबले बीस परसेंट सस्ता पड़ेगा।" लड़का एक सांस में कह गया।

पहले ......."डोंट माइंड ......बैटर ऑप्शन ".....यानी अंग्रेजी .....और फिर "20 परसेंट" यानी मैथेमेटिक्स।

अबे कौन है ये लड़का।

ध्यान से देखा तो वाकई बिल में बीस परसेंट का अंतर भी था।

उम्र के 42 बसंत देख चुका हूं।।
खत पढ़ लेता हूं मजमू .....लिफाफा खोले बिना।

"क्या करते हो?" मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से उससे पूछा।

"यहीं काम करते हैं।" उसने जवाब दिया।

"इसके अलावा क्या करते हो? " मैंने पूछा।

" यूपीएससी का तैयारी कर रहे हैं सर। दिन में दिल्ली रहते हैं। ढाबा पर नाइट ड्यूटी रहता है।" आत्मविश्वास भरी आवाज़ में उसने जवाब दिया।

" बैटर ऑप्शन ले आओ।" मैंने मुस्कुराते हुए कहा।

खाना खाया। बिल टेबल पर था और आकाश......नहीं नहीं ..... आका"स" समाने खड़ा था।

एक लम्बे अर्से बाद मैंने किसी वेटर को टिप नहीं दी।

वह टिप देने लायक व्यक्ति नहीं था।

मेरे पास पार्कर का एक पेन था। मैंने उसकी शर्ट की जेब में वह पेन लगा दिया।
उसकी आंखों की चमक देखने लायक थी।

एक वर्ग है.......जो बेशक घोर गरीबी में जी रहा है। दाने दाने का मोहताज है। रोज कुआं खोद रोज पानी पी रहा है......लेकिन फिर भी अपने लिए .........बैटर ऑप्शन खोज रहा है।
बेहतर विकल्प खोज रहा है। यह वर्ग दिन में किताबों में मुंह दिए सपनों की लड़ाई लड़ रहा है और रात में ढाबे पर खाना परोसता सर्वाइवल की लड़ाई लड़ रहा है।
.......और जीतता भी यही वर्ग है क्योंकि इसके पास हारने को .....कुछ भी नहीं है और जीतने को पूरी दुनिया,,,,,

मैं कल रात भविष्य के एक प्रशासनिक अधिकारी को पेन भेंट कर आया हूं।
परिस्थिति जितनी भी विकट हो संघर्ष जारी रखना ही ......."बैटर ऑप्शन" है।

07/02/2023

जो लड़के 14 फरवरी का इंतजार कर रहे होंगे शायद उनकी बहनें भी किसी लड़के का उस दिन का इंतजार कर रही होगी हिसाब बराबर 🤔🤔
कोई गुस्सा न करें ये रियल हकीकत है हम सुधरेंगे तो समाज सुधरेगा🙏🙏

18/10/2022

दीवाली आ रही है जमकर पटाखे चलाए

जिसे प्रदूषण की चिंता है वे अपनी गाड़ी बेचकर साईकिल ले ले 🤯💣

18/10/2022

अपने गाँव में पंचायत समिति सदस्य, जिला पार्षद,सरपंच, पंच उम्मीदवार सभी आपके अपने ही गाँव के नागरिक व काका, ताऊ, भाई, बहन और पड़ोसी हैं!!🙏🏻👬🏻
अतः इन इलैक्शन के समय में किसी के साथ गलत भाषा का प्रयोग न करें, समय बड़ा बलवान हैं!!😇💪🏻
आप जिसका समर्थन करते हो बनने के बाद वो आपके काम आए क्या पता??🤔
ओर आप जिसका विरोध कर रहे हो वो आपके लिए फरिश्ता बन जाए, इसलिए निवेदन है पूरी मर्यादा बनाए रखें!!🙏🏻🙏🏻
जीत-हार होती रहती है, चुनाव आते-जाते रहेंगे, हमें यहीं रहना है पूरे भाईचारे के साथ इसलिए सोशल मीडिया पर किसी को गलत न बोलें कोई भी साथी,आपस में एकता बनाए रखें!!🤝🏻
चुनाव से पहले हमारी इंसानियत ही खून का रिश्ता है उसे सब मिलकर बनाये रखें!🤝🏻👬🏻🙏🏻

आपने कई बार शाहरुख खान को अपने स्ट्रगल और अपने गरीबी का ज़िक्र करते हुए देखा होगा। जैसे उसने कहा था कि उसके पास पैसे नहीं...
30/06/2022

आपने कई बार शाहरुख खान को अपने स्ट्रगल और अपने गरीबी का ज़िक्र करते हुए देखा होगा। जैसे उसने कहा था कि उसके पास पैसे नहीं थे कि वो आगरा जा पाता दिल्ली से फिर उसे जब 50 रु मिले तो आगरा गया। इतना झूठा इंसान बहुत कम मिलेगा पूरी दुनिया में। ये फोटो देखिए ये उसकी मां लतीफ फातिमा खान की उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ। खास बात ये कि वो दिल्ली में मजिस्ट्रेट थी और संजय गांधी की खासमखास। वैसे भी एक कर्नल की बेटी गौरी छिब्बर को कोई पंचरपुत्र तो छू भी नहीं सकता पर उससे इस हकले का अफेयर दिखाता है कि ये भी खाते पीते परिवार का था।

फिर ये झूठ बोलने की क्या ज़रूरत हकला भाई?

17/06/2022

थोड़ा आसान तरीके से अग्निपथ योजना को समझाने की कोशिश करता हूं। गलत हूं तो दुरुस्त करिएगा।

प्वाइंट no 1... सामान्यतय एक युवा 17 साल युवा दसवीं कर लेता है तो अगर वो अग्निवीर बनता है तो चार साल सेवा के बाद 11 लाख रुपए और 12 th की डिग्री लेके आएगा। साथ में वो अपनी ओपन से ग्रेड्यूशन कर सकते हैं।

प्वाइंट no 2... सामान्यतय किसी भी नौकरी में एंट्री उम्र सीमा 21 साल से शुरू होती है और 25 या 27 साल तक या कई नौकरी में तीस साल तक होती है तो वो अन्य नौकरी में जाने कोशिश कर सकता है जिसके लिए सरकार ने वरीयता देने की बात All Ready कही भी है।

प्वाइंट no 3... माना कोई युवा 21 साल की उम्र में अग्निवीर बनता है तो वो तब तक कम से कम ग्रेड्यूशन कर चुका होगा और 25 साल तक वो वापिस करेगा... उसके लिए मौके कुछ कम होंगे मगर फिर भी बहुत सी नौकरी में उम्र सीमा 27 साल या तीस तक होती है। मगर 18 साल के युवा के लिए अग्निवीर ज्यादा बेहतर ऑप्शन है।

प्वाइंट no 4... चार साल अग्निवीर के पास तकरीबन बारह लाख रुपए मिलेंगे जिसके सहारे वो आने के बाद उन पैसों के सहारे कई सारी पढ़ाई जो वो पैसों की कमी से नहीं कर पाता है उस से वो कर सकता है या अन्य कोई छोटा बिजनेस वगेरा...

प्वाइंट no 5... बाकी मैं इस से पहले ही पोस्ट डाल के बता चुका हूं के राज्यों और केंद्र सरकार को अग्निवीर को सरकारी नौकरियों में कोटा निर्धारित करना चाहिए और उन नौकरियों में आयु सीमा की छूट भी अग्निवीरों को देनी चाहिए...

सबसे अहम बात 17 - 18 साल की उम्र का युवा सबसे ज्यादा गलत संगत का शिकार होता है अगर उस समय आप आर्मी के अनुशासन में अपने आप को ढालते हैं तो शायद बहुत अच्छा रहेगा और 21- 22 साल की उम्र में आपके हाथ में 11- 12 लाख रुपए की पूंजी होगी...

बाकी आप लोग भी अपने पॉजिटिव सुझाव दें।

जय हिन्द 🇮🇳 जय भारत 💪🇮🇳🙏

RIP . LEGEND . STAR ALWAYS BRIGHT HEAVEN
29/05/2022

RIP . LEGEND . STAR ALWAYS BRIGHT HEAVEN

23/12/2021
27/09/2021

गाँधी वही लोग बनते हैं जिनकी भगत सिंह बनने की औकात नही होती
शहीद-ए-आजम #सरदार_भगत_सिंह जी का आज ही के दिन जन्म हुआ ये सबको पता है, लेकिन भगत सिंह का नाम भगत क्यो रखा गया वो भी पढ़े, 🙏🙏
भगत सिंह वो शक्ति था जिसके जन्म लेते ही आज ही के दिन उनके पिता जी की और चाचा की जेल से रिहा होकर घर आये थे,इसीलिए सरदार जी की दादी ने जय कौर ने कहाँ था बड़े भागा वाला है मेरा पूत भागा वाले से ही नाम भगत रखा गया !!🇮🇳🙏
भगत सिंह आज भी हमारे बीच जिन्दा है बस आप लोग पहचानने में देर कर रहे हों भगत सिंह कोई एक इन्सान नही भगत सिंह एक विचारधारा है !
जो भी गरीबों की मदद करता है जो किसानों के मजदूरों के लिए हमेशा आगे रहता है जो राष्ट्रहित के बारे में सोचता है उन सबके अंदर भगत सिंह हैं !!
भगत सिंह कोई एक नहीं है भगत सिंह एक लाख भी हो सकते हैं,एक करोड़ भी !!👬👬
बस अपने अंदर के भगत सिंह को पहचानने और जगाने की कोशिश करें !!🤘
मेरे आदर्श सरदार भगत सिंह जी को आज फिर एक बार याद करने का मौका मिला अपने आपको भाग्यशाली समझता हूं !!आज आप सबसे एक विनती भी करता ट्विटर फेसबुक इंस्टाग्राम पर एक ट्रेंड जरूर चलाये आजादी के मतवालों को आज तक शहीद का दर्जा क्यो नही पूछता है भारत🙏🙏

नोट-:दुःख इस बात का है आजादी दिलवाने वाले हीरो को साल में 2 बार ही याद किया जाता है एक तो जन्मदिवस पर एक शहीदी दिवस पर !!😢
ऐसी महान हस्तियों को हर हर पल में याद किया जाना चाहिए !!
🇮🇳🇮🇳
🇮🇳🇮🇳 इन्कलाब जिन्दाबाद 🇮🇳🇮🇳

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