राजपुत समाज ऊना H.P

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राजपुत समाज ऊना  H.P मौत पसंद है, अपमान नहीक्योंकि हम राजपू

26/11/2022
राय बुलार भट्टी(भाटी) जिन्होंने 18,500 एकड़ ज़मीन गुरु  #नानक देव जी को  #दान में दी थी !!37000 एकड़ जमीन के मालिक थे ये, आ...
30/07/2022

राय बुलार भट्टी(भाटी) जिन्होंने 18,500 एकड़ ज़मीन गुरु #नानक देव जी को #दान में दी थी !!
37000 एकड़ जमीन के मालिक थे ये, आधी दान करदी थी इन्होंने !!
अब #ननकाना साहब में उस जमीन पर गुरुदारे को छोड़ बाकी हज़ारो एकड़ पर #पाकिस्तान सरकार का कब्ज़ा है !!

28/07/2022

आज इस बात को कोई माने या ना माने पर ये अटल सत्य है,की हिंदुत्व की नींव , क्षत्रियोँ के त्याग,बलिदान पर टिकी हुई है.....

आज आपको इसकी एक छोटा सा उदाहरण दिखाता हूँ .

विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू विश्वविद्यालय,, बनारस हिंदू बिश्वबिद्यालय के बनने की कहानी ..

बनारस से जोधपुर की दूरी करीब 1200 किमी है....और उस समय इन क्षेत्रों का तो आपस मे कोई ज्यादा लेना देना भी नही था...

फिर भी जोधपुर के महाराजा ने उस 1900 सदी की शुरुआत में लाखों रुपये का सहयोग बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बनने के लिए दिया था...जिनका आज का मूल्य करोड़ो या अरबों में होगा...

लेकिन फिर भी ये दिलचस्प बातें, किसी को नही बताई जाती, ना ही ये बात विश्वविद्यालय बताता है,ना ही ये सरकारें...या मीडिया

जोधपुर के महाराजा सुमेरसिंह जी साहिब ने फ़रवरी 1913 ई मे जब पण्डित मदन मोहन मालवीय जी दरभंगा के महाराजा के साथ जोधपुर पधारे थे ,और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की बात रखी तब महाराजा श्री सुमेरसिंहजी साहिब ने दो लाख रुपये विश्वविधालय के लियें तथा 24 हज़ार प्रतिवर्ष शिल्पकला - विज्ञान की शिक्षा के लियें एक शिक्षक ( Jodhpur Hardinge Chair of Technology) के लियें प्रदान करने का वचन दिया जिसे आगे भी निभाया गया ।

आगे चलकर महाराजा उमैदसिंहजी साहिब मारवाड़ नरेश ने 1927 ई. के नवम्बर में बनारस हिन्दु विश्वविघालय को दो लाख रुपये मारवाड़ी युवकों के लिये पशु - चिकित्सा ( veterinary ) अौर कृषि विज्ञान ( Agricultural Science ) की 4 इरविन छात्रवृत्तियाँ ( Schoolaship ) नियत करने को कहा । उसी समय महाराजा साहिब ने कृषि विधा की शिक्षा के लियें तीन लाख रूपये प्रदान किये जो इरविन- कृषि विधा - शिक्षक ( Irwin Chair of Agriculture ) के नाम से दिये गये थे।

महाराजा साहिब के प्रयासो से जोधपुर राजपरिवार व प्रजा ने भी आपना योगदान दिया जो एक लाख रुपये था ।

मारवाड़ के महकमाख़ास रेकोर्ड में पण्डित मदन मोहन मालवीय जी एवं महाराजा उमैदसिंह जी साहिब के मध्य हुए पत्र व्यवहार से जाना जा सकता हैं ।

जोधपुर राजपरिवार सदैव शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणीय रहा हैं । आज भी वर्तमान राजपरिवार इन परम्पराओं का निर्वहन कर रहा हैं

पण्डित मदन मोहन मालवीय जी ने महाराजा उमैदसिंहजी साहिब को पाँच पत्र लिखे थे जिनमे मारवाड़ रियासत के आर्थिक सहयोग के लियें आभार जताया था ।
महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केन्द्र के संग्रह के कूछ महतवपूर्ण दस्तावेज़ों अवलोकनार्थ प्रस्तुत हैं ।

ऐसा ही सहयोग,और भी कईं क्षत्रिय राजाओं ने किया था...पर ये सब सहयोग ,इतिहास के पन्नो में ही दबकर रह गया ..

केदारनाथ हो या बद्रीनाथ
द्वारिकाधीश हो या जगन्नाथ मंदिर,भारत के लगभग सभी प्राचीन मंदिर ,क्षत्रिय राजाओं की देन है....मानो या ना मानो

23/07/2022

इस संघ को कोई भी क्षत्रिय पसंद नहीं है ।
इस संघ ने इमानदार प्रधानमंत्री वीपी सिंह के खिलाफ केस दायर किया ।
इस संघ ने क्षत्रिय समाज के सबसे ज्यादा लोकप्रिय राजनेता अर्जुनसिंह के खिलाफ केस दायर किया ।
इसी संघ को अमरसिंह से बहुत चिढ़ थी और उनसे 28 करोड़ की सम्पत्ति ले ली ।
इस संघ को वीर बहादुर सिंह से बहुत चिढ थी जिसने रामजन्म भूमि के ताले खुलवाए, जिसका नतीजा भी उन्होंने भुगता संद्गिध मृत्यु । लेकिन संघ ने कभी नाम नहीं लिया ।
संघ को मनीष सिसोदिया से बहुत चिढ़ है क्योंकि NCR से दो दो साठा चौरासी से एक क्षत्रिय लीडरशिप तैयार हुई है जो दिल्ली में धमक दे रही है । तोमर सिसोदिया साठा चौरासी एवं सोलंकी भाटी साठा चौरासी

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शंकर सिंह वाघेला जी की राजनीति इन्होंने खत्म कराई,
इनको तो संघी जसवंत सिंह से भी बहुत चिढ़ थी, वृद्धावस्था में उनकी बेइज्जती करा दी ।

इनको क्षत्रिय महापुरुषों सम्राट मिहिर भोज सुहैल देव बैस महाराणा प्रताप पृथ्वीराज चौहान अनंगपाल तोमर आल्हा ऊदल आदि से भी बहुत चिढ़ है , संघ ने इन्हें भील गूजर अहीर जाट पासी बना दिया है ।
इतना जोर जुल्म होने के बाद भी पता नही कब जागे और सुधरेगा मेरा समाज,
#क्षत्रिय_विरोधी_RSS
क्षत्रिय धर्म युगे युगे,
क्षात्र धर्म की जीत हो,
Okendra Rana Haryana

16/07/2022

अयाज़ अमीर नाम के एक पाकिस्तानी पत्रकार ने वहां के एक न्यूज चैनल पर एक ऐतिहासिक घटना का जिक्र करते हुए बताया...

मुल्तान में जश्न का माहौल था, बाबर ने राणा सांगा से युद्ध जीता था, जश्न के उस माहौल में बाबर से एक उज्बेक कबीले का मुखिया मिला, बातचीत के दौरान उस उज्बेक सरदार ने बाबर से कहा, यह जश्न बहुत सारी कब्रों का निर्माण करेगा...

बाबर ने पूछा ऐसा क्यों???
उज्बेक मुखिया बोला - सुल्तान जिन राजपूतों से आप लड़े है, जिनकी हत्या की है, उनकी आने वाली पीढ़ियां आपसे लड़ेंगी। यह मिस्र, पर्सिया नहीं है जो अपने प्रतिशोध को भूल जाये, ये वो क्षत्रिय राजपूत है, जिनके खून में प्रतिशोध बहता है। आने वाली आपकी नस्लें चैन से नहीं रहेंगी।

ठीक वही हुआ...
यह लड़ाई अगली दो शताब्दियों तक निरंतर चलती रही। मुगल, तुर्क, कुर्दों की कब्रों से भारत पट गया।

प्रतिशोध, संतुलन के लिये अति आवश्यक है...
जिन वर्गो के बारे में लोग जानते है कि इनकी पीढ़ियां बदला लेंगी, उनके साथ कुछ भी करने से अपराधिक प्रवृत्ति के लोग तक डरते है।

यह नियम तब भी था, आज भी है, आगे भी रहेगा...

09/07/2022

अफगान/पश्तून एक गज़ब की उपद्रवी योद्धा जनजाति रही है जिसे काबू में करने में अच्छे अच्छे साम्राज्यों के पसीने निकल गए। ब्रिटिश एम्पायर जिसके बारे में कहा जाता है की उस राज में सूर्य अस्त नहीं होता था उन अंग्रेजों को पठानों ने दौड़ा दौड़ा कर मारा, इतनी किरकिरी हुई की अपमानित होकर ब्रिटिश फोर्स को पीछे हटना पड़ा।

शीत युद्ध के पीक पर सोवियत रूस ने अफगानिस्तान को कम्युनिस्ट स्फीयर में लाने के लिए अपने पूरे रिसोर्सेस के साथ उस देश पर धावा बोला। सालों तक युद्ध चला पर आखिरकार थक हार कर रूसियों को वापस अपने देश जाना पड़ा।

यही हाल अपनी तकनीकी कौशल और मिलिट्री श्रेष्ठता पर घमंड खाए अमेरिका का हुआ।
अफगानिस्तान को ग्रेवयार्ड ऑफ एंपायर्स यूं ही नही कहा जाता। अच्छे अच्छे नामचीन वहां जाकर पसर गए।
सिवाय एक के। राजा मानसिंह और उनकी कच्छवाहा सेना एकमात्र ऐसी हमलावर फौज़ थी जिनके बारे में कहा जा सकता है की उन्होंने पठानों को वाकई में नानी याद दिला दी।
मानसिंह की बहादुरी और युद्ध कौशल से प्रभावित होकर खुद पश्तूनों ने उनकी तारीफ की। अबुल फ़ज़ल लिखता है की अकबर को मानसिंह को काबुल की सूबेदारी से हटाना पड़ा क्योंकि पठानों को बेइज्जती महसूस होती थी की हिंदू उनपर राज कर रहे हैं। अफगान इतिहास में उन्होंने इतना तिरस्कार कभी नहीं झेला जितना उन्होंने मानसिंह के नीचे रहते हुए महसूस किया।

अब सोचिए अगर किसी दूसरी हिंदू जाति के पास इतना बेहतरीन पूर्वज होता तो । महिमा गा गा कर नाक में दम कर देते। असंख्य किताबें लिखी जाती। अंतराष्ट्रीय मंचों पर उनकी तारीफ में सेमिनार होते।

पर अफसोस मानसिंह एक क्षत्रिय थे। क्षत्रियों से वामपंथी और संघी दोनो तो नफरत करते ही करते है, खुद क्षत्रिय तक अपने योद्धाओं को बराबर सम्मान देने में हिचकते हैं।
दुनियां में शायद ही ऐसी कोई कम्युनिटी हो जिसे अपने ही वीरों से दिक्कत होती हो। जिस मानसिंह की पूजा होनी चाहिए उन्हें अछूत बना दिया गया। जिस राजा ने हिंदू धर्म के उत्थान के लिए सबसे ज़्यादा काम किया उसे उसके खुद की जाति के लोगों ने गद्दार घोषित कर दिया। महाराणा प्रताप जो विपक्ष में होने के बावजूद जिन मानसिंह का सम्मान करते थे और जिन्होंने अपनी भतीजी का पाणिग्रहण मानसिंह के पोते के साथ किया, उन मानसिंह को आजकल कोई भी ऐरा गेरा राजपूत आकर गाली दे जाता है की ये तो राष्ट्रद्रोही थे।

पुण्यतिथि पर सादर नमन।

तुर्क भारत आए और शासन किए जिम्मेदार कौन ? राजपूतहूण, शक आएजिम्मेदार कौन ? राजपूतमुगल आए, शासन किएजिम्मेदार कौन ? राजपूतअ...
01/07/2022

तुर्क भारत आए और शासन किए

जिम्मेदार कौन ? राजपूत

हूण, शक आए

जिम्मेदार कौन ? राजपूत

मुगल आए, शासन किए

जिम्मेदार कौन ? राजपूत

अंग्रेज आए, शासन किए

जिम्मेदार कौन ? राजपूत

भारत स्वतंत्र हुआ (हालांकि स्वतंत्र क्या कहें! किसी और के हाथ से परोक्ष रूप से किसी और के हाथ में गया)
इसी दौर में साहित्य में ठाकुरों को विश्व में सबसे ज्यादा प्रताड़ना देने वाला सिद्ध किया गया, प्रेमचंद ने तो बाकायदा ‘ ठाकुर का कुंआ ’ लिख कर यह बताने की कोशिश की , कि ठाकुरों जैसा निर्मम कोई नहीं।

लेकिन यह नहीं बताया कि शाम को जब ठाकुर साहब गांव घूमते थे तो ये जरूर देखते थे कि किसके आंगन से धुंआ नहीं निकल रहा है, यदि धुंआ निकलता नहीं दिखता तो जरूर उसके यहां आग और खाने का प्रबंध करवाते थे खैर, आगे चलकर बॉलीवुड ने तो यह सिद्ध ही कर दिया की ठाकुर इस धरा पर केवल अत्याचार के लिए जन्मे हैं।

पहले राजनीति में हमारे प्रतिनिधित्व को कम किया गया फिर जमींदारी एबोलिशन, प्रीवीय पर्स की समाप्ति, लोकतंत्र की दुहाई देकर हमारे मनोबल को धूल धूसरित किया गया।

सोशल मीडिया का जमाना आया इसमें तो अति ही कर दी गई, जमकर टारगेटेड रूप में हमें गालियां दी गई, कुछ ने प्रत्यक्ष रूप से हमारे चीर – हरण पर आनंद लिया तो कुछ ने अप्रत्यक्ष रूप से इसे बढ़ावा दिया, जोधा अकबर जैसी अनगिनत फेंक कहानियां लोगों के समक्ष परोसी गईं, समधी - साढू का रिश्ता बताकर खूब चटकारे लिए गए , बारी बारी से हमारे योद्धाओं को पराजित घोषित किया गया और जो विजेता थे उनकी जाति ही बदलने की कोशिश की जा रही है।

कुल मिलाकर हमें सबसे घृणित और कायर घोषित किया गया !

तो मेरा निवेदन है कि हमें कायर और डरपोक ही रहने दें, लोकतंत्र में हमारे युवाओं को आगे आकर पढ़ाई लिखाई करने दें क्योंकि न हमारे पास रहने के लिए जमीन बची है और न ही अनाज उपजाने के लिए खेत, आपको खुद के बच्चों को तो कलेक्टर बनाना है और कलेक्टर न भी बन पाया तो सेटिंग ऐसी है कि उसी दफ्तर में बाबू तो बन ही जायेगा, और यहां तो बाबूसाहब लोग न पढ़ाई लिखाई में ही जा पाए और न ही अपनी संपत्ति बचा पाए, मानसिक गुलाम अलग बन गए।

लोकतंत्र में सक्षमता आप लोग की है , राजस्थान जैसे क्षत्रिय बाहुल्य राज्य में आप लोगो ने विप्र बोर्ड तक बनवा लिया ,आपके सामर्थ्य के आगे क्षत्रिय नगण्य हैं, इसलिए आप अपनी ऊर्जा समय और सामर्थ्य हमे गाली देने में नाहक व्यर्थ न करे, उठें पौरुष का पर्याय बने, पुरुषत्व कोई राजपूतों की जागीर थोड़े है, पुरुष तो आपके भी कमजोर नहीं होंगे, पूरी ताकत से चाहे गरियाइये चाहे ललकारिये लेकिन अब जंग लगी तलवारों को छोड़ इनको चमकाइए हमारे समाज की शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

अजीत सिंह

#राजन्य_क्रॉनिकल्स_टीम

30/06/2022

जिन्हें हमारी #बलि-प्रथा से समस्या थी। समस्या भी इतनी कि बकायदा इस पर "क्षत्रिय" #फ़िल्म बनाकर हमारे विरुद्ध #घृणा फैलाई गई।

जिन्हें हमारे #हथियार रखने से समस्या थी। बकायदा #कानून बनवाकर हमारे हथियार रखने के धार्मिक #अधिकार तक का #हनन किया गया।

जिन्हें हमारे #मूंछ रखने और यहां तक कि हमारी कान की बाली तक से समस्या है और समस्या भी इतनी कि बकायदा हमारी हर #परम्परा को #गुंडई का पर्याय बना दिया गया।

उन्हें बस एक #हमला होने पर राजपूत #याद आने लगे?

और ये हमला भी किसी #तुर्क ने नहीं, बल्कि एक #पसमांदा ने किया। जिन्हें हम ठाकुर दुनिया की सबसे #कायर प्रजाति मानते हैं ।

तुम उससे तक अपनी #रक्षा न कर पा रहे हो? किसी #तुर्क, #अफगानी के सामने पड़ोगे। तो क्या हाल होगा...खैर हमें क्या?

हम क्षत्रिय तो #कायर हैं ।

हमारे तो राणा प्रताप भी हल्दीघाटी से #भाग गए थे? इसलिए अब #तुम वीरता दिखाओ हिंदुओं ।

तुम्हारे पास अपनी #वीरता दिखाने का पूरा #मौका है...हम क्षत्रियों को #आवाज न दो ।🙏

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#राजन्य_क्रॉनिकल्स_टीम

हिंदुआ सूरज  #महाराणा_प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को...
22/05/2022

हिंदुआ सूरज #महाराणा_प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-

1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।
2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे । तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि- हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए ? तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ।”
लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था |
“बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |
3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|
कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।

4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |
5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है, तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे, पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी|
लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |

6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |

7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है, जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |

8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं | इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है| मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |

9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |

10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी, जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे । जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |

11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |

12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में
अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था । वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे ।
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं, तो दूसरी तरफ भील |

13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है, जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |

14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके
मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|

15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे ।

16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।

महाराणा प्रताप के हाथी की कहानी:
मित्रो, आप सब ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो सुना ही होगा,
लेकिन उनका एक हाथी भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।

रामप्रसाद हाथी का उल्लेख अल- बदायुनी, जो मुगलों की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।

वो लिखता है की- जब महाराणा प्रताप पर अकबर ने चढाई की थी, तब उसने दो चीजो को ही बंदी बनाने की मांग की थी । एक तो खुद महाराणा और दूसरा उनका हाथी रामप्रसाद।

आगे अल बदायुनी लिखता है की- वो हाथी इतना समझदार व ताकतवर था की उसने हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही अकबर के 13 हाथियों को मार गिराया था ।

वो आगे लिखता है कि- उस हाथी को पकड़ने के लिए हमने 7 बड़े हाथियों का एक
चक्रव्यूह बनाया और उन पर14 महावतो को बिठाया, तब कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।

अब सुनिए एक भारतीय जानवर की स्वामी भक्ति।

उस हाथी को अकबर के समक्ष पेश किया गया ।
जहा अकबर ने उसका नाम पीरप्रसाद रखा।

रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने और पानी दिया।

पर उस स्वामिभक्त हाथी ने 18 दिन तक मुगलों का न तो दाना खाया और न ही
पानी पिया और वो शहीद हो गया।

तब अकबर ने कहा था कि- जिसके हाथी को मैं अपने सामने नहीं झुका पाया,
उस महाराणा प्रताप को क्या झुका पाउँगा.?

इसलिए मित्रो हमेशा अपने भारतीय होने पे गर्व करो।

🙏❣️❣️

क्षत्रियों ने तो शेरों को भी कुत्ता बना कर पाला था और आज के जमाने के लोग कुत्ता पाल कर गर्व महसूस करते हैं ये है आपका अस...
10/05/2022

क्षत्रियों ने तो शेरों को भी कुत्ता बना कर पाला था और आज के जमाने के लोग कुत्ता पाल कर गर्व महसूस करते हैं
ये है आपका असल इतिहास.. पढ़िये और अपनी गौरवशाली इतिहास पर गौरवान्वित होइये...


● #महाराजा_पोरस से जब विश्व विजय का सपना संजोए हुए #सिकन्दर का सामना झेलम नदी के तट पर हुआ, तो उसका विश्व विजेता का सपना वहीं मिट्टी में मिला दिया गया था।
वो इतिहास भूल गए क्या...??

● #बप्पा_रावल जिन्हें कालभोज के नाम से भी जाना जाता था, मुहम्मद कासिम को अरब तक जूतों से मारते हुए ले गए थे, और वहाँ के लोग बप्पा रावल को अपना दामाद बनाकर संधि किये थे।
वो इतिहास भूल गए क्या...??

● #महाराणा_सांगा का खानवा का युद्ध बाबर के खिलाफ, तोप और बंदूको के सामने तलवारों की खनक जिसकी गवाही आज भी वहाँ के पत्थरों पर दर्ज है।
वो इतिहास भूल गए क्या..??

● #महाराणा_प्रताप जिनका नाम सुनकर अकबर पेशाब कर देता था, वह अपने जीते जी कभी महाराणा प्रताप जी के सामने लड़ने तक कि हिम्मत नही जुटा पाया और नही ही कभी सामने आया।
उसके जीते हुए किले एक एक कर छुड़ा लिए गए थे,
वो इतिहास भूल गए क्या...??

● #वीर_शिवाजी अफजल खान को उसी की छावनी में ही चाकुओं से गोद कर मार डाला था।
वो इतिहास भूल गए क्या..??

● #महाराज_सुहेलदेव_सिंह_बैस ने जब गाजी की उपाधि लिए हुए सालार मसूद गाजी को बहराइच में गाजर मूली की तरह काट डाला था।
तो वो इतिहास भूल गए क्या ..??

● #महराज_भीम_बघेला जोकि गुजरात पाटन के राजा थे, उन्होंने 1 महीने तक #मुहम्मद_गोरी को सशर्त बंदी बनाकर जेल में रखा था।
वो इतिहास भूल गए क्या..??

● #सम्राट_पृथ्वीराज_चौहान जिन्होंने मुहम्मद गोरी को 17 बार माफ करके जीवनदान दिया था।
वो इतिहास भूल गए क्या ..??

● #वीर_गोरा_और_बादल (चाचा/भतीजे) जोकि कुछ मुठ्ठी भर राजपूतों द्वारा राणा रतन सिंह को छुड़ाने के बाद वो खिलजी के दिल्ली दुर्ग में वो तबाही मचाई की खिलजी को अपनी बेगम के साए में छुपना पड़ा।
वो इतिहास भूल गए क्या..??

● #महाराज_छत्रसाल जिनसे #औरंगजेब कभी जीत ही नही पाया, आमने सामने युद्ध मे परास्त करने के बाद औरंगजेब को ये कहकर छोड़ दिया कि जाओ अपने पापों का प्रायश्चित करो, और वो इसी दयनीय हालत में घुट घुट कर मर गया था।
वो इतिहास भूल गए क्या..??

हमनें तो अभी कुछ ही बलिदानियों का जिक्र किया है
#राजपूताने के स्वर्णिम और रक्त रंजित।

वाह मेरे शेर..👍उत्तरप्रदेश के भदोही जिले के गोपीगंज गॉव के लाल जिनके पिताजी एक ट्रक ड्राइवर का काम करते थे..।।रिंकू सिंह...
05/05/2022

वाह मेरे शेर..👍

उत्तरप्रदेश के भदोही जिले के गोपीगंज गॉव के लाल जिनके पिताजी एक ट्रक ड्राइवर का काम करते थे..।।

रिंकू सिंह राजपूत ( वर्ल्ड रेसलिंग इंटरनेशनल ) का खिताब अमेरिका में जीते हैं..।।

इस वर्ल्ड रेसलिंग इंटरनेशनल का खिताब जीतकर अमेरिका सहित पूरी दुनिया में तहलका मचाने वाले रिंकू सिंह राजपूत पर हम सभी देशवासियों को गर्व है..
आप इसी तरह देश दुनिया में भारत का नाम रौशन करते रहें..।
Note -उसके कंधे और माथे को देखो ,सत्य सनातन धर्म 💖💖🚩

शुभकामनाएं..।। ❣️❣️Jai Shri Ram 🙏🚩✊✊✊

27/04/2022
14/03/2022

💪🏼

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