04/11/2023
जब कोई 'पेड लगाने के बारेमे लिखताहै, तो उसका अपमान ना करते हुए, शुद्ध शाकाहारी होनेके नाते मै केवल दुखी होता हुं।
एक बकरी या मांस के लिये काटे जानेवाला हर प्राणी अपने जीवनकालमे जो भी अनाज, घास,पत्ते, आदी खाता है तो उसका 10% उसका मांस मिलता है। जैसे एक बकरा अपने जीवनकालमे करीबन 1000 किलो पत्ते आदी खाता है तो उसको काटनेके बाद करीबन 100किलो मांस मिलता है।माने 100 के 60 करना इस व्यंग की कहावतसे भी 6 गुना कम!
तो जहां मांसाहार चलेगा वहां अनाज आदी की किल्लत होना स्वाभाविक है।इसीलिये पाकीस्तान, चायना मे अनाज की कीमते कई गुना जादा है।
पर्यावरण के द्रुष्टीसे देखा जाय तो जहां जमीन के भीतर पानी कमी है तो जल योद्धाओं द्वारा 'चारा बंदी ,कुल्हाडी बंदी' चलाई जाती है, क्योकी जानवर को खानेके लिये पेड के पत्ते काटनेसे 'फोटो सिन्थेसिसं ना होनेकी वजहसे पेड मरता है तो जमीन बंजर बनती है।तो मांस खाकर पेड, तथा अंततः देशको हानी पहुंचाना 'देशद्रोह 'माना गया है
2।.कहा जाता है कि पेड पौधोमे भी जीव है,।हां है, मगर मनुष्योमे 'पंचतत्व (आकाश ,प्रुथ्वी,जल, वायु, अग्नी) होते है, तो प्राणीयोमे 4 तत्व , जलचरोमे 3तत्व,कीटआदीमे 2तत्व, तो पौधोमे केवल जलतत्व होता है।पौथोको को काटनेके बाद फिरसे नये उगते है, प्राणीयोके नही उगते ,इसलिये वनस्पती खानेकी तुलना प्राणी मारकर खानेसे करना मुर्खता है।
3.हम नहीं खायेंगे तो ये प्राणी बढ जायेंगे, ये भी गलत है, क्योकी बकरे, मुर्गी आदीको मांसके लिये बढाया जाता है।
4.मांसाहारी प्राणीयोके दात नुकीले, पानी जीभसे पीना, अतडीयां 3 फीटकी आदी विशेषता होती है जो मनुष्यमे बिल्कुल नही है, मनुष्य तथा अन्य शाकाहारी प्राणीयोकी अतडीयां तो 30 फीटकी होती है, यह दर्शाता है कि भगवान ने हमे शाकाहारी बनाया है।
5.जैसा आहार वैसा विचार, तो बैंगन खानेपर वात,तीखा खानेपर जलन होती है ना, वैसेही म्रुत्युभयसे आतंकित प्राणी का पसीना, आदीके स्त्रवोसे दुषीत मांस खानेसे हम मेभी भय ,क्रोध, आदी बढ जाते है।और जिस निरीह जीव ने हमारा कभी कुछ नही बिगाडा, ,उसको हम दया ना दिखायें और उस जगन्निहंता से आशा करें की वह हमको क्षमा करेगा, हमपर क्रुपा करेगा , तो ऐसा सोचना मूढता है। दुसरे निरीह जीवपर दया ना दिखानेवाले कभी ना सोचे की हमपर क्रुपा होगी, दया होगी!!
तो आओ ,आज संकल्प करें ,व्रुक्षोसे इस वसुन्धरा को हराभरा करें, शाकाहारी बनें, फिर पेड लगाये, पेड बढायें!!!!-संकलक- विकास वत्सला श्रीराम शास्त्री, 9325668123